Monday, February 8, 2010

हम तो जाते अपने गाँव !!!

परदेश की आबो हवा अब रास ना आवे |
घर आजा परदेशी तेरा देश बुलावे ||

वो सुनहले धोरे कितना मुझको मिस करते है|
कब आवोगे साथी मनमे कितना रिस करते हैं ||

जाने कब आये ये फरवरी ११ का दिन |
एक एक साल लगे है हर पल हर छीन||

कुछ दिन कुछ ना कहूंगा |
दिल के करीब ब्लॉग से दूर रहूंगा !!!