Tuesday, October 25, 2016

साक्षात्कार रेडियो मिष्टी

नाम: :RJ Bishwa
कार्यक्रम का नाम : Evening mantra / Spandan
समय : 4:00 Pm to 7:00 Pm
वार : Mon to Friday
Sapnadan timing : Saturday 7:00PM to 10:00 PM
रुब-रु में आज मिलाते है हम आपको, सिक्किम के एक ऐसे आर जे से जिनके मंत्रों की शक्ति से मंत्र मुग्ध हो जाते हैं श्रोता !! ये बाबा बड़े ही निराले है जो श्रोताओं को मौज मस्ती का पाठ पढाते हैं, आइये इन बाबाजी से कुछ पूछ ताछ कर ही लेते हैं !
मुरारी : हर दिल अजीज, पहुची हुई चीज, मौज मस्ती के बाबाजी को शाष्टांग प्रणाम मुनिराज बिस्वा !!
बिस्वा: हा. हा.. ये क्या कह रहे हैं आप |
मुरारी: जी क्या करूँ मेरे अन्दर हंशी के कीटाणु कुछ ज्यादा संक्रामक हो जाते है जब आपसे मिलता हूँ |
बिस्वा: आप कोई कीटनाशक क्यों नहीं लेते हा..हा.. हा..!
मुरारी : आप तो मेरा काम तमाम करने पर उतारू हो गए, चलिए इस मटर गश्ती को बंद करके कुछ आपको खंखोलते हैं |
बिस्वा: जी मैं तैयार हूँ !
मुरारी: तो सबसे पहले आप यही बताइये की ये आर जेइन्ग का कीडा कब से आपके अन्दर बुदबुदाने लगा था?
बिस्वा: आज से लगभग तीन साल पहले|
मुरारी: क्यों लगा की आप R.J ही बनेंगे कुछ और नहीं ?
बिस्वा: मेरे अंदर एक कलाकार था जो लोगों के सामने आना चाहता था !
मुरारी: क्या बचपन से ही कला के वाइरस आपमें थे? या अचानक किसी के सानिध्य में आकर संक्रमित हुए ? कहीं ये रोग वंशानुगत तो नहीं ?
बिस्वा: नहीं .. नहीं वंशानुगत नहीं, बचपन में तो मैं बहुत शर्मिला और झेंपू किस्म का था, १०वि कक्षा के बाद दोस्तों के सानिध्य में आकर कला की इच्छा जागृत हुई, और मैंने गाना सीखना शुरू किया |
मुरारी: किस किस्म का संगीत आपको पसंद है?
बिस्वा: सभी प्रकार के विशेष कर पाश्चात्य संगीत |
मुरारी: कुछ गुनगुनाते भी है पाश्चात्य में ?
बिस्वा: हाँ, गुनगुनाता तो अवश्य हूँ | क्योंकि हमारी स्टेशन का tagline ही है गुनगुनाते रहो !
मुरारी : कोनसा गाना विशेषकर गुनगुनाते हैं?
बिस्वा : the song name is patience. which i always like to sing.
मुरारी : आपने यहाँ से पहले भी कहीं और भी अपनी बिमारी को फैलाया है, मतलब किसी दुसरे रेडियो स्टेशन पे आपने काम किया है ?
बिस्वा: हाँ आपने कुछ वाइरस मैंने आल इंडिया रेडियो Kurseong, Darjeeling, से भी फैलाए थे मतलब वहाँ भी as an RJ कार्य रत था |
मुरारी: अगर आप को खुला छोड़ दिया जाए ? सांड की तरह नहीं, मेरे कहने का मतलब अगर आप को पूरी आज़ादी दे दी जाये की, जाइए अपने मन मर्जी का शो कीजिये, और अपनी मन मर्जी के गीत बजाइए तो उसकी रूप रेखा क्या होगी ?
बिस्वा: अगर मुझे खुला छोड़ दिया जाये तो एक ऐसा कार्य क्रम करूंगा जिसमे हर वर्ग के लिए मशाला होगा, खिचडी की तरह स्वादिष्ट, लिंगो सब मिला जुला इंग्लिश हिंदी और नेपाली, और गाने भी मिले जुले हिंदी इंग्लिश और नेपाली|
मुरारी: और समय कोनसा मांगेंगे कितने घंटे?
बिस्वा: 2 घंटे का कार्यक्रम करना चाहूंगा शाम ५ बजे से ७ बजे तक |
मुरारी: आप बोलने में कितना वक़्त लेना चाहेंगे मतलब आपकी लाइनर कितने मिनट या सेकंड की पसंदीदा होगी ?
बिस्वा: बोलने की बात ये है की इतना बोलूं की लोग सिर्फ पके नहीं एंजाय करें लगभग २ या ३ मिनट, fully bindaas.
मुरारी: "इवनिंग मंत्र " जो आप शो करते हैं वो आप एन्जॉय करते हैं ?
बिस्वा: जब Show की शुरुआत की थी तो थोडी दिक्कत हुई थी, क्योंकि जैसा शो था, उसके अनुरूप मुझे ढलने में थोडा समय लगा था, लेकिन समय के साथ साथ इसमें ढल रहा हूँ अभी अन्जोय करता हूँ, और जैसे जैसे समय बीतता जायेगा ज्यादा एन्जॉय करूंगा|
मुरारी: क्या बदलाव चाहते है "Evening Mantra" में ?
बिस्वा: समय की सीमा कुछ कम की जाय यानी दो घंटा ! और बोलने का वक़्त ज्यादा दिया जाए जिससे अपनी भावनाओं को पूरी तरह श्रोताओं के साथ share कर सकूँ |
मुरारी: आपका कार्यक्रम कोई क्यों सुने ?
बिस्वा: इस बात में दम है, जैसा की आप अच्छी तरह जानते हैं आज के श्रोता ज्ञान के भूखे नहीं है, सब इंटरटेनमेंट करना चाहते हैं , और मेरे शो में फुल मस्ती और धमाल है, जो की मैं खुद बेवकूफ बनके भी श्रोताओं को हंशाता हूँ| मुरारी: चलिए ये तो कार्य क्रम से सम्बंधित बातें थी ! अब कुछ पर्सनल हो जाते है | आप देखने में तो बहुत इंटेलिजेंट हैं ! कभी कोई ऐसी हरकत हुई जिससे आपको लगा की आप बेवकूफ बन गए ?
बिस्वा: जी जी ऐसी कई घटना मेरे साथ हुई है, सबसे रोचक एक वाकया हुआ था जिसमे में बेवकूफ सा ही बन गया था |
मुरारी : उस हरकत के बारे में जानना चाहूँगा बिस्वा !
बिस्वा : क्यों उतार रहे हैं ?
मुरारी: बताना तो पडेगा गुरु!!
बिस्वा: चलिए फिर बता ही देता हूँ |
मुरारी : हाँ शुरू हो जाओ गुरु!!
बिस्वा: एक बार जब पुरे परिवार के साथ साउथ की शेर को गए थे| लौटते वक़्त कलकत्ता रुके वहाँ साल्ट लेक भी घूमना था , वहाँ पर एक वाटर पार्क था, जहा स्विमिंग पुल था और कृत्रिम लहरें आती थी समुद्र की लहरों की तरह,
मुरारी : तो?
बिस्वा: तो मैंने भी सोचा कुछ स्विमिंग का आनंद उठाया जाय, लेकिन समस्या ये की तैरना नहीं आता था|
मुरारी: जब तैरना नहीं अता था तो किस प्रकार आनंद उठाया?
बिस्वा: उसका समाधान था ट्यूब, जिस पर लेट कर मैं उतर गया आनंद लेने | बड़ा ही आनंद आ रहा था पूरा रिलेक्स होकर आराम पूर्वक ट्यूब पर लेट गया, और पता ही नहीं चला की मैं कब एकदम गहराई वाले क्षेत्र में पहुँच गया |एक दम निश्चिंत| अचानक कृत्रिम लहर चलाई गयी ? चूँकि में रिलेक्स था अचानक आई लहर ने मुझे उलट कर रख दिया ! पर ट्यूब मैंने कस कर पकड़ रखा था| अब मैं डूब रहा हूँ मेरी शांश उखड रही है न जाने कितना उस स्विमिंग पुल का पानी मैं पि चुका था| पर मेरी और किसी का ध्यान नहीं, लाइफ गार्ड ने मुझे देखा और देख कर नजरअंदाज कर दिया की कितनी मस्ती में खेल रहा है | उनको क्या पता की जो खेल रहा है वो क्या झेल रहा है, घर के सारे रिश्ते नाते आँखों के सामने घूम रहे थे, लग रहा था ये आखिरी वक़्त है, उस समय मैंने महसूस किया की जो कभी भूले से भी याद नहीं आते थे वो भी उस वक़्त याद आ रहे थे, मैं गुडुप गुडुप करता रहा किसी ने ध्यान नहीं दिया हालाँकि लाइफ गार्डों ने कई बार देखा, मैंने हिम्मत जुटाई हाथ पाँव मरता रहा अब जैसे ही थोडा पानी से ऊपर आया, जोर से चिल्लाया : बचाओ बचाओ !!! तभी एक लड़की मेरे करीब आई और मुझे खींच कर बोली क्या है क्यों चिल्ला रहे हो | निचे देखो जमीं पर खड़े हो !! मैंने निचे देखा सचमुच मैं जमीं पे ही खडा था !! अब उससे क्या कहूँ ?? की हाथ पैर मार के कब यहाँ पहुंचा पता ही नहीं चला, सब मेरी और देख के हंस रहे थे | चुप चाप बाहर निकला और शर्मा कर बैठ गया| फिर कभी पानी के अन्दर नहीं गया| लोग बार बार मुझे देख कर हंस रहे थे जैसे मैं कोई अजायब घर का अनोखा प्राणी हूँ !
मुरारी : हा.हा.हा.हे.हे..ही.
बिस्वा: कमाल है पहले तो सारी बात उगला ली फिर बतीशी का सेट चमका रहे हो !!
मुरारी: हा..हा. सचमुच बहुत ही दिलचस्प वाकिया था बिस्वा ! मजा आया आपके साथ बात चित करके अब चलें?

बिस्वा: कहाँ?
मुरारी: किसी स्विमिंग पूल में लहरों वाले |
बिस्वा: just stop it, and see u !!
MurarI: ok Thanks Bishwa

Friday, December 18, 2015

कोमेडी नाइट्स विथ कपिल में कैसे जाएँ ?

टी वी पर रियलटी शो देखते वक़्त लोग बड़े उत्सुक भावुक उत्तेजित वगेरह वगेरह होते रहते है|
कई सोचते हैं काश वहाँ बैठे होते सामने से देख रहे होते |
तो आज उन्ही लोगों के लिए यहाँ उन्हें करीब से देखने और जानने का जरिया बताने कि कोशिश कर रहा हूँ | ज्यादातर लोग कपिल के शो में जाने के लिए बेताब हैं . बहुत कम लोगों को ये पता है कि सूटिंग कब और कहाँ होती है ? और कैसे शो में गेस बन के जाया जाता है ?
तो सूटिंग ऑफ़ कोमेडी नाईट कपिल कि गोरेगांव फिल्म सिटी में तारक मेहता का उलटा चश्मा के सेट से थोड़ी दूर पर ही है | इसकी सूटिंग हफ्ते में दो बार होती हैं सोमवार और गुरुवार |
गेस्ट उर्फ़ मेहमान के तौर पर जाने के लिए  आपका कोई जान पहचान वाला फ़िल्मी जगत से होना चाहिए जो आपको फिल्म सिटी के अन्दर ले जा सके | ये कहते हैं ना हम कनाडा से आये हैं हम चीन से और जापान से आये हैं सब किसी फिल्म वाले के जान पहचान वाले होते हैं |
अब कभी जब समस्या आती है कि ऑडियंस नहीं है तब इनके cordinator रहते है जिनको पैसे दिए जाते हैं आदमी लाने के यानी भीड़ को बुलाने के लिए | वैसे तो ये कोऑर्डिनेटर  मेहमान आये न आये रोज भीड़ बुलाते हैं | प्रति व्यक्ति को ३००  रुपैये दिए जाते हैं | वो उन्ही को बुलाते हैं जिनके साथ उनकी दोस्ती है | दुसरे से सीधे मुंह बात भी नहीं करते और फ़ोकट में क्या पैसे ले कर भी अन्दर नहीं जाने देते | भुगत भोगी हूँ |
पर जब मेहमान बढ़ते रहते हैं तो भीड़ वालों को एक एक करके बाहर भेज दिया जाता है |वहां जब मेहमान आते हैं उनसे अगर आप पूछेंगे कि आप गेस्ट बन कर कैसे आये क्या फंडा है  ज़रा बताइये ?
सबका एक ही उत्तर ऑनलाइन बुकिंग कि थी ...किसी को भी पूछ लो...|
अगला सवाल निश्चित रूप से यही होगा कि ऑनलाइन बुकिन कैसे कि थी कोई साईट वगेरह बताइये हम भी करें ?
उनका सबका जवाब : हमने नहीं कि हमारे रिश्तेदार यहाँ रहते हैं उन्होंने टिकेट भेजी थी | सुबह १० बजे से लोग आने शुरू होते है रात के ९ बजे तक बैठे रहते हैं शो १०-११ बजे सूटिंग शुरू होती है और सुबह ३-४ बजे तक चलती है अन्दर खाना हल्का सा इडली वगेरा दे कर बैठाए रखते हैं | वो भी सिर्फ एक बार |
तो अगर आना चाहते हैं तो आपका मोस्ट वेलकम है किसी फिल्म जगत के अपने रिलेटिव को बोलिए कि भाई हम भी रियलिटी शो देखे कि रियल में क्या है ...

क्रमश:



Rajasthan Film Festival Awards

Thursday, August 28, 2014

मीडिया की करतूत है या घटनाए ही ऐसी होती है ?

ये मिडिया भी आये दिन समाचार ऐसे देती है, की लगता है हम ऐसे देश में रह रहे हैं , जहां कानून और इन्सान नहीं कोई विशेष जंगल है|
कही कोई पड़ोसी दो तीन महीने की बच्ची के साथ दुष्कर्म करता है तो कहीं कोई मामा अपनी भांजी  के साथ|
कहीं सामूहिक बलात्कार तो कहीं बरगला के| ये सारे समाचार एक साथ एक ही वक़्त | क्या मीडिया ऐसे समाचार चुन चुन के लाती है ? या ऐसी घटनाए अभी ही ज्यादा होने लग गई?
अगर घटनाए ही ऐसी हो रही है तो जो बुद्धिमान लोग है वो अपना क्या योगदान दे  रहे हैं| कम से कम इतना तो किया ही जा सकता है, की रोज ऐसे मुद्दे पर चर्चा कर अपने आस पास के लोगों को ऐसी घटनाओं से जागरूक करें सिर्फ सरकार के कानून बना देनें भर से कुछ नहीं होगा|
ऐसी स्थिति में रिश्ते तो जैसे ख़त्म ही हो जायेंगे  कोई चाचा,  मामा, फूफा,के घर नहीं जाएगा हम भले हमारा परिवार भला|

Wednesday, August 27, 2014

साईं बाबा जाएँ तो जाएँ कहाँ ??

आखिर साईं बाबा का चमत्कार झेल चुके लोग इस स्थिति में आ गए की समझ नहीं आता राम को पूजें या साइ को |
अब शंकराचार्य का कहना की साईं बाबा भगवान् नहीं है ..तो साईं बाबा ने कब कहा की वो भगवान् है ? यहाँ तक की किसी संत ने अपने आपको भगवान नहीं कहा | 
आखिर अब ये सवाल कैसे उठा? इतने दिन सब शंकराचार्य और मठाधीश कहाँ थे ?? 
कल तक साईं नाम का जप करने वाले आज उन्ही के नाम पर गाली गलोज करने से बाज नहीं आ रहे है |
कोई उन्हें मुस्लिम तो कोई हिन्दू ठहरा रहा है | मुर्ख पब्लिक इनकी चक्कर घिन्नी में फंस के तय नहीं कर पा रही की किसे पूजें ? ये सवाल इसलिए तो नहीं उठा की शन्कराचार्य जी की कमाई में कुछ कमोबेश होने लगा ?
बिलकुल बात तो यही है या फिर साईं के पुजारियों की चांदी होते देख शंकराचार्य के मन में भी लालच आ गया |
मैं कोई साईं भक्त या राम भक्त नहीं हूँ | पर एक साधारण समझ रखने वाले इंसान के मन में ये बात जरुर आती है की जिन लोगों ने साइ के प्रत्यक्ष चमत्कार देखे हैं( चाहे वे संजोग ही रहे हों ) उनके मानस पटल से  उसे कैसे उतारा जा सकता है | वही कट्टर भक्त है |
साईं बाबा के ही नहीं ललू पंजू कोई भी बाबा हो अगर किसी का काम कहीं न बने और निर्मल बाबा के दरबार में बन जाए तो क्या कहिएगा ...?? आप चाहे जो भी कहिये बन्दा तो निर्मल बाबा के चरण धो धो के पिएगा |
हालांकि ये कोई बाबा देव या भगवान् का नहीं बल्कि उसकी आस्था का (विल पॉवर) से या संजोग से होता है |
पर जन जन को कौन समझाए ??जीसस क्राइस्ट ने भी कहा की अगर तेरा विस्वास मुझमे है है तो तूं अवस्य स्वस्थ होगा | 
उसपर भी कुछ मुर्ख इंसान भगवान् को ही धन अर्पित करते है सारा लफड़ा यही से शुरू होता है...उनके इसी धन और स्वर्ण छत्रों के चढाने से ही साईं और राम का युद्ध है |
मंदिर जाओ साइ धाम जाओ श्रध्दा से हाथ जोड़ कर आ जाओ | चढ़ावा और दिखावा मत करो फिर न तो करोड़ो साधुओ की जमात होगी न साईं होगा न निर्मल बाबा होगा |


Sunday, June 30, 2013

नमस्ते मिडिया !!

धन्य है भारत का  मीडिया,  एक से बढ़कर एक | ये कहीं कोई समाचार बनने से पहले ही पहुँच जाते है |(क्यूंकि हमें तो पता इनके जरिये ही पता लगता है सच हो या झूठ )
अभी केदारनाथ में आई भारी विपदा के समय भी कुछ ऐसा ही है | जो न्यूज़ चैनल लगाओ वही कहता है : जी हाँ  हमारी टीम जो सबसे पहले पहुंची है घटना स्थल पर,  कभी कभी बहम होता है कहीं इन्होने ने ही तो नहीं करवाई ये त्रासदी ?

कोई बड़ी बात नहीं ये कभी कभी  इतने आस्तिक हो जाते है, की नास्तिक भी इनकी बात सुनकर अस्तिया जाता है| हो सकता है उसी समय भगवान् से कोई ऐसा वर मांग ले|
अभी तो जैसे इनके हाथ अंधे को बटेर वाली कहावत सच हो  गई  हो, कम से कम छ: महीने का चारा तो मिल ही गया |

ऐसा कहा जा सकता  है की इनकी अभी सीजन चल रही है |इंडिया टी वी और आजतक में तो समाचार देखना किस्मत की बात हो गई है ,अगर आप कि किस्मत अच्छी है तो समाचार देख सकते है वरना निचे चल रही अपडेट लाइनों से काम चलाना होगा|

 मेरी तो तकदीर सुखी लकड़ी से लिखी गयी है, जब भी ये चैनल लगाता हूँ नहाने धोने और गोरा बनाने वाली क्रीम बेचने वालों को ही पाता  हूँ | वहीँ अगर आप अच्छे समाचार साधक है, और आप में धैर्य है तो  एक अच्छे साधक की तरह   सारी क्रीम साबुन देखने के बाद समाचार थोडा बहुत देख सकते है |

हर चेनल दर्शकों को लुभाने का प्रयास एक्सक्लूसिव तरीके से कर रहा है | मुझे तो लगता है अभी कुछ ऑफर और देने वाले हैं , "जी हाँ समाचारों के साथ पाइए एक अल ई डी  २२" टी वी फ्री" , या : जी हां    हमरा चैनल लगातार एक  महीने देखिये और पाइए एक डीस एंटना फ्री| वैसे ये राय उनको पहुंचाई जा सकती है |
तरह तरह के प्रपंच रचे जा रहे हैं| जिन्होंने इस आपदा को झेला है उनसे  फिर वो मंजर याद करवाके  रुलाते हैं|
और तब कहते है :जी हाँ देखिये कैसे रो रहे हैं ? इनकी आँखों से आंसू  अभी भी सूखे नहीं है ( और न हम सूखने देंगे )

जिन्होंने अपनों को खोया है उन सबसे जा कर कहते है हमारे चैनल के माध्यम से आप अपने पापा, मम्मी, भाई, बेटे से कहिये की आप कहीं भी है तो आ जाइए |

क्या वो घर छोड़ के गए हैं? रूठ के गए हैं? अगर कोई कहीं फंसा ही होगा (हजारों म कोई एक ) तो क्या वो अपने घरसे दुर  हना चाहेगा ? कुछ नहीं इन सब बातों का एक ही मतलब है, भावनाओं से खेलकर अपना चैनल चलाना| देखने वालों को भावुक करना और उनमे उम्र भर की झूठी तस्सली देना जो उनको न जीने देगी न मरने |

अरे कुछ करना ही है तो जाओ उत्तराखंड के गाँव गांव, जंगल जंगल ,बस्ती बस्ती,  फिरो कोई बचा होगा तो वहाँ मिलेगा जहा न तुम्हारा मीडिया है न कोई साधन |
उस नदी के किनारे किनारे डोलो जहां हो सकता है कोई डूबता हुआ बचा हो और इस हालत में न हो की घर पहुँच सके |

आएँगी ऐसी कहानिया भी सामने आएँगी की मौत को हराकर अमुक अपने घर इतने दीन बाद लौटा |पर हजारों में कोई एक |