आज कालू बन्दर का मुड़ बड़ा उखडा हुआ था, मरने मारने पे उतारू था | सामने देखा शेर की मांद, जोर से चिल्लाया :अबे शाले शेर की औलाद बाहर निकल, पर शेर कुछ न बोला|
कुछ देर जवाब का इन्तेजार किया फिर बोला: शाले मर गया क्या? बहरा हो गया क्या ? बहर निकल गीदड़ की औलाद !!
शेरनी को ताज्जुब हुआ, एक अदना सा बन्दर जंगल के राजा को इस तरह गालियाँ बक रहा है, और सिंहराज के कानो पर जूं तक नहीं रेंग रही, शेरनी ने शेर से कहा: आप उस बन्दर को कुछ नहीं कह रहे ?? मैं तो कहती हूँ बाहर निकल के चीर डालिए !
बाहर खड़े बन्दर को सुनाई दे गयी शेरनी की आवाज बन्दर बोला: अरी ओ फूहड़ शेरनी दो मर्दों के बिच में मत बोल वरना तेरी तो.... ऐसी की तैसी करके रख दूंगा |
शेरनी तो जैसे गुस्से से पागल हो गई और बोली: आज इस बन्दर के बच्चे को मैं नहीं छोडूंगी बुरी मौत मारूंगी |
शेर शांत कराने की कोशिश करता बोला: जाने दो भगवान् नादान बन्दर है | बन्दर बाहर से सब सुन रहा था|
बोला: अरे ओ भड़वे शाले तेरी हिम्मत नहीं है तो इसे ही आने दो अपने आप को बहुत शातिर समझ रही है, साली एक बार बाहर आ गयी तो वापस अन्दर जाने के लायक नहीं रहेगी |
शेरनी ने बन्दर के पीछे उड़ान भरी शेर रुको!!! रुको !!!!कहते ही रह गया | अब बन्दर आगे शेरनी पीछे दौड़ते दौड़ते ..एक लंबा पतला पाइप ..... फच्चाक....से बन्दर पाइप के अन्दर घुस लिया| शेरनी भी गुस्से में आव देखा न ताव पाइप के अन्दर घुसी पर ये क्या ??? पाइप इतना पतला की शेरनी पेट तक अन्दर फंस गयी | बन्दर दूसरी साइड से बाहर निकला और शेरनी के पिछवाडे खडा होकर : साली अपने आपको बहुत तुर्रम खान समझती है ऐसा कहके पिछवाडे में लातों की बारिस करने लगा, मोटा सा डंडा ले कर पिछवाडे को सुजा दिया, और सिटी बजाता हुआ, निकल लिया| अब जैसे तैसे शेरनी निकली मुह लटकाए वापस मांद में गयी | शेर देखते ही बोला : आ गयी ना पिछवाडा कुटवा के, यही हादशा मेरे साथ ७ बार हो चुका |
इसलिए गुस्से पर काबू रखके बुद्धि से सोचो की एक निर्बल बलवान को क्यूं उकसाता है !!