कमला : तू तो बड़ी कमीनी है, अच्छी तरह जानती हूँ तू क्या क्या गुल खिलाती है खेत में |
धापली : तेरे जैसी कमीनी भी नहीं हूँ, पड़ोस में छाछ लेने के बहाने जा कर क्या क्या नैन मटक्का करती है मुझे सब पता है |
कमला: तेरे तो पुरे खान दान की की कहानी मुझे पता है|
धापली:और तेरे खानदान की कहानी ?जैसे मुझे पता नहीं है !
कमला : अरे तेरी दादी तो तेरे दादे को छोड़ के भाग गयी थी |
धापली: रहने दे मेरा मुह मत खुलवा ! तेरी बुआ जो धोबी के साथ भाग गयी थी ? खानदानी इश्कबाज रहे हो तुम लोग |
कमला : अरी कलमुही तेरे को तो मैं किसी गधे के साथ भेजूंगी |
(इतने में चुन्नी भैया उधर से गुजर रहे थे, धापली ने चुन्नी भैया को देखकर कहा ): अरी नाशपिटी तेरे को मैं इस चुन्नी लाल के साथ भेजूंगी ! (अब चुन्नी भैया को ये बात सुनाई दे गई और चुन्नी लालजी वहीँ खड़े हो गए| झगडा लगातार चलता रहा |आधी घंटा खड़े रहने के बाद चुन्नी भैया उनके नजदीक आये और धापली से बोले): अरे धापली मैं रुकूँ की जाऊं |
(फिर क्या था कमला टूट पड़ी चुन्नी पे)