ये मिडिया भी आये दिन समाचार ऐसे देती है, की लगता है हम ऐसे देश में रह रहे हैं , जहां कानून और इन्सान नहीं कोई विशेष जंगल है|
कही कोई पड़ोसी दो तीन महीने की बच्ची के साथ दुष्कर्म करता है तो कहीं कोई मामा अपनी भांजी के साथ|
कहीं सामूहिक बलात्कार तो कहीं बरगला के| ये सारे समाचार एक साथ एक ही वक़्त | क्या मीडिया ऐसे समाचार चुन चुन के लाती है ? या ऐसी घटनाए अभी ही ज्यादा होने लग गई?
अगर घटनाए ही ऐसी हो रही है तो जो बुद्धिमान लोग है वो अपना क्या योगदान दे रहे हैं| कम से कम इतना तो किया ही जा सकता है, की रोज ऐसे मुद्दे पर चर्चा कर अपने आस पास के लोगों को ऐसी घटनाओं से जागरूक करें सिर्फ सरकार के कानून बना देनें भर से कुछ नहीं होगा|
ऐसी स्थिति में रिश्ते तो जैसे ख़त्म ही हो जायेंगे कोई चाचा, मामा, फूफा,के घर नहीं जाएगा हम भले हमारा परिवार भला|
कही कोई पड़ोसी दो तीन महीने की बच्ची के साथ दुष्कर्म करता है तो कहीं कोई मामा अपनी भांजी के साथ|
कहीं सामूहिक बलात्कार तो कहीं बरगला के| ये सारे समाचार एक साथ एक ही वक़्त | क्या मीडिया ऐसे समाचार चुन चुन के लाती है ? या ऐसी घटनाए अभी ही ज्यादा होने लग गई?
अगर घटनाए ही ऐसी हो रही है तो जो बुद्धिमान लोग है वो अपना क्या योगदान दे रहे हैं| कम से कम इतना तो किया ही जा सकता है, की रोज ऐसे मुद्दे पर चर्चा कर अपने आस पास के लोगों को ऐसी घटनाओं से जागरूक करें सिर्फ सरकार के कानून बना देनें भर से कुछ नहीं होगा|
ऐसी स्थिति में रिश्ते तो जैसे ख़त्म ही हो जायेंगे कोई चाचा, मामा, फूफा,के घर नहीं जाएगा हम भले हमारा परिवार भला|