Friday, October 9, 2009

आँखों आँखों में समझाना

हमारे चुन्नी भैया की गाँव में राशन की दूकान भी है | एक बार शंकर भाई की लड़की की शादी थी | बरात की खातिरदारी की तैयारी हो रही थी | राजस्थान में प्राय: बुजुर्ग लोग हुका या चिलम गुडगुडाते ही हैं | इसी बात को ध्यान में रख कर शंकर भाई ने बरात में भी तो बहुत सारे लोग चिलम पिने वाले आयेंगे इसलिए पांच सात चिलमो का भी इन्तजाम कर लेते हैं, सोच के चुन्नी भैया की दूकान से ७ चिलम खरीद लाये ये कहकर की पैसे आपको बाद में दे दूंगा!!
अब बरात आई कईयों ने चिलम ग़ूड्ग़ूडाई बरात चली गयी चिलम रह गयी |शंकर लाजी चिलम ले कर चुन्नी भैया के पास गए और बोले :चुन्नी भैया बुरा मत मानना पर ये चिलम अगर आप वापस ले सकते हैं तो ले लीजिये सिर्फ एक बार उपयोग की हुई हैं ! चुन्नी भैया ने बिना मन के रख ली |
अब शंकर ने पूछा : अच्छा चुन्नी भैया गेहूं है क्या??
चुन्नी लालजी मुह बना के बोले : गेहूं तो हैं पर एक बार उपयोग किये हुए है !
शंकार भाई : अच्छा वो चिलम दे दीजिये | कहकर चिल्मो का भुगतान कर दिया | इसे कहते हैं आँखों आँखों में समझाना |