Sunday, July 11, 2010

पोजिटिव थिंकिंग के बारे में आप क्या सोचते हैं?????

सचमुच सकारात्मक सोच के जादू का तब तक पता नहीं चलता जब तक हम आजमा के न देख लेवें! अब अविनाशजी ने बिजली न होने से भी खुश रहना सिख लिया ! यही महान व्यक्तियों की सोचने की कला है !
महान व्यक्तियों के सोचने की दिशा हमेशां अलग रही है !
अविनाश जी का कहना है की बिजली नहीं रहने से टी . वी नहीं देख पाते , मोबाइल से बात नहीं कर पाते ,पर हम तो भाई बिना बिजली के भी कैसे न कैसे करके टी .वी मोमबती जला के भी देखते रहते हैं, की इसी में तो सब कुछ आता है, और कभी भी वो सब वापस आ सकते हैं जो बिजली के साथ गए हैं!
मोबाईल पर बीवी की झकझक सुनने से बचने के लिए झूठ मुठ ही बतियाते रहते हैं : हां जी कल मैं पैसे के लिए आ रहा हूँ , नहीं यार कम से कम 15-20 तो कर देना ......ओके ...हाँ ..हाँ ... हेल्लो ..हाँ फोन रखना नहीं यार ...बड़ी लम्बी बात करनी हैं......यार ..a to a फ्री है न. हाँ ... कभी तो बिजली आयेगी ! उम्मीद पर तो दुनिया कायम हैं और पोजिटिव थिंकिंग का जादू चल ही जाता है! सिर्फ दो घंटे के बाद ही लाइट आ जाती है , ये बताने की आपने ये जो घर में मीटर बिठा रखा है और जो तारें लगा राखी हैं व्यर्थ नहीं हैं इन्हें उखाड़ने का प्रयास भी ना करें!


अभी कुछ दिन से खाना अकेला ही पका रहा हूँ इसीलिए ब्लोगिंग का समय नहीं मिल पाता काम धंधा ज़माने के लिए मेहनत कम और पोजिटिव थिंकिंग ज्यादा करता हूँ !

अब रसोई में जगह जगह चीनी के गिरने से मोटे वाले मकोड़ों ने धावा बोल दिया ! रोज आने लगे मैंने गौर किया इनकी थिंकिंग इतनी पोजिटिव हैं, की रोज ये पक्का विस्वास करके आते हैं की कहीं न कहीं मीठा खाने को मिल ही जाएगा !
सचमुच मिल ही जाता है कभी चाय के सस्पेन में , कभी ग्लास में और कभी चीनी का डब्बा खुला रह जाता है ! सचमुच यहाँ पर दो बातें चरितार्थ होती है एक ये की शक्कर खोरे को शक्कर मिल ही जाती है और दूसरी ये की पोजिटिव थिंकिंग रखने से जादुई परिणाम निकलते हैं !

अब कल गैस ख़त्म हो गई तो दो दिन कुछ बना नहीं मकोड़ों ने पलायन शुरू कर दिया ! एक दो मकोड़े कुछ ज्यादा ही पोजिटिव थिंकिंग वाले थे जो बहुत पतले हो गए थे , पर जी जान से इधर उधर भटक रहे थे की कहीं ना कहीं तो कुछ मीठा मिलेगा ही मिलेगा !

मैंने रसोई में कदम रक्खा तो सुनी पड़ी रसोई को देखकर जरा मन उदास हो गया ! जिन मकोड़ों से मैं बातचीत करते रहता हूँ वो मकोड़े गायब हो गए हैं ! मैंने देखा दो मकोड़े जो थिंक थिंक के दम तोड़ने वाले थे, बस वही बचे थे !

मैंने चीनी का घोल बनाया और उनके सामने परोस दिया ...पर ये क्या .. वो दोनों मकोड़े चीनी के घोल को सूंघ कर दौड़ पड़े मैंने सोचा, शायद ये सोच रहे हैं की इसमें कोई साजिस है ! मन व्यथित हो गया उनको कितना समझाया की यार किसी इन्सान पर तो विस्वास करलो !

पर नहीं माने और वाश बेशन के निचे वाली गली से पतले हो लिए .
इनको समझाने और चीनी का घोल देने में मेरा स्वार्थ था, मकोड़ों की पोजिटिव थिंकिंग का असर,
मुझे लगता था की मकोड़े हमेशां यही सोचते हैं की यहाँ मीठा मिलेगा और मीठा तभी घर में बनेगा जब ख़ुशी रहेगी और ख़ुशी तभी रहेगी जब एंटी में दमड़ी रहेगी, इतना बड़ा लंबा पोजिटिव थिंकिंग का जाल ....!
एक आदमी की पोजिटिव थिंकिंग से अगर कम नहीं बनता है तो इतने मकोड़े मील कर अगर पोजिटिव थिन्कियायेंगे तो रिजल्ट अच्छा आना ही आना है!

अच्छा अब जो दो मकोड़े चले गए थे वो वापस आ गए साथ में और कई मकोड़े मकोड़ीया भी थे !
बात अब समझ में आइ की वो भागे नहीं थे बल्कि सब को बुलाकर लाये थे !

अगर मकोड़ों की सोच से सोचा होगा तो यही सोचा होगा की हम अकेले क्यूँ खाएं सबको खिलाएं , और अगर इंसानों की सोच से सोचा होगा तो मकोड़ों ने ये सोचा होगा की अगर ये घोल देने में कोई साजिश है तो पहले दूसरों को खिला के देखते हैं या साजिस का शिकार हम अकेले क्यूँ बने !!
खैर मकोड़ों ने जो भी सोचा !! पोजिटिव थिंकिंग के बारे में आप क्या सोचते हैं?????

अब एक सवाल यहाँ निचे प्लयेर में !!(song Ek swal tum karo Flute)

Saturday, June 26, 2010

लम्बी जुदाई !!!!

साढ़े तीन महीने के लम्बे ब्लॉग वियोग के बाद मौक़ा मिला है, की आज अपनी विरह व्यथा लिखी जाए!

सचमुच बड़ी ही दुसह दुख:द और दुस्वार होती है ब्लॉग जुदाई! मायावी दुनिया की आपा धापी में ब्लॉग जगत के आत्मिक रस से वंचित रहना किसी क्रोधित ऋषि के श्राप भोगने जैसा है !
ऐसा लगता है जैसे पिजरे में से पंछी उड़ गया हो, खूंटे से गाय खुल गयी,कोल्हू से बैल निकल गया हो!जैसे पिंजरा, खूंटा और कोल्हू सुन्ने हो जाते हैं वैसे ही इस भारी भरकम शरीर में लगा हुआ ४० किल्लो का सर सुन्ना घर सा हो जाता है !
भगवान् दुश्मन को भी ब्लॉग विरह ना दे ,किसी बेनामी को भी ऐसी सजा ना दे!

जब भी किसी गधेडे को देखता तो ब्लॉग पात्र संतू की याद से मन व्यथित हो जाता था ! वो काली काली आँखों वाली, लम्बे लम्बे पूंछ वाली, चम्पाकली भैंस अक्सर सपनो में आ कर रंभाती थी !वो नरम नरम पैरों वाली, भूरी भूरी आँखों वाली, कोमल कोमल होठों वाली, मेरे पास आ करती थी म्याऊं !! तो रामप्यारी की याद से सुन्ना पड़ा माथा गूंजने लगता था !

साढ़े तीन महीने का दुनिया वास भोगने के बाद आज वापस ब्लॉग जगत में आना वैसा ही सुखद है जैसे लम्बी यात्रा कर अपने घर में पहुँचना!

Monday, February 8, 2010

हम तो जाते अपने गाँव !!!

परदेश की आबो हवा अब रास ना आवे |
घर आजा परदेशी तेरा देश बुलावे ||

वो सुनहले धोरे कितना मुझको मिस करते है|
कब आवोगे साथी मनमे कितना रिस करते हैं ||

जाने कब आये ये फरवरी ११ का दिन |
एक एक साल लगे है हर पल हर छीन||

कुछ दिन कुछ ना कहूंगा |
दिल के करीब ब्लॉग से दूर रहूंगा !!!

Tuesday, February 2, 2010

देश और देशवाशी !!!

रात को एक टीस सी दिल के कौने में उठ रही थी!
दिल के दर्द से अनजान था, आखिर कौन सी पीड़ा घुट रही थी!!
जुबान से पूछा दिल मैं क्या दर्द है बता, ज़ुबां कुछ न कह पाई
पर गम का वो गुब्बारा आखिर फूट पड़ा और आँख भर आई



हाथ ख़ुद ब ख़ुद जुड़ गए और वतन को सलाम किया |
मैं क्योँ भुला रहा तुझे कभी तेरे लिए कोई काम न किया ||
उलझे रहते हैं अपनी ही दुनिया में, तेरे हालात अब बद से बदतर हो पड़े |
देश और देशवाशियों के हालात पे हम फूट फूट कर रो पड़े||

Wednesday, January 27, 2010

ख़बरों के पार की खबर !

रहिये ना ख़बरों से बेखबर ख़बरों के पार की खबर ले कर हाजिर हूँ मैं !

Monday, January 25, 2010

मोबाइल २०५०!!

मोबाइल के बढ़ते उपयोग को देखते हुए ये लगता है की लोगों के मस्तिष्क में चिप डाल दी जायेगी एक अरियल सर के अन्दर से निकाल कर सर पर खडा कर दिया जाएगा! कान के पास चार्ज करने के लिए तार निकाले जायेंगे !
बिना किसी सैट के और बिना कुछ कान में लगाए बात करते लोग सोचिये क्या नजारा होगा ! जब कोई आदमी एकदम फ्री बात करता नजर आयेगा
उसी के पास खडा पुराना ज़माना (या पुराने जमाने का आदमी) उसको देख रहा है रहस्यमय अंदाज में !
नया ज़माना बात कर रहा है : नहीं भाई नहीं ऐसा नहीं करना घाटे की गुन्जाईस ज्यादा है !
पुराना ज़माना: उसको हैरत से देखते हुए कहता है : सुनिए !!
नया ज़माना उससे दूर जाता है जैसे उसे एकांत चाहिए !
पर पुराना ज़माना पीछे पीछे फिर बात सुनता है नया ज़माना बात में लगा है: अरे भाई समझा करो ऐसा नहीं हो सकता उससे कहो कुछ ले दे कर डील आगे सरका दे !!!
पुराने जमाने के हाव भाव ऐसे हैं जैसे उसको लगता है ये आदमी पागल हो गया है !! लेकिन वेश भूषा देख के उसे लगता है की अभी ही पाग़ल हुआ है !
नया ज़माना बात चित जारी रखता है : देख भाई ऐसा हुआ तो मैं पागल हो जाउंगा!
पुराना ज़माना बुदबुदाता है : कमाल इसे लगता है अभी पागल होने की और गुन्जाईस है ! (नए जमाने को संबोधित करते हुए ): सुनिए भाई साब !
नया ज़माना: क्या है बे तब से देख रहा हूँ तुन मेरे पीछे लगा है !! ओह सोर्री भाई में तुमसे नहीं कह रहा था( चिप्स वार्ता में जिससे बात करता है उससे कहता है ) !
पुराना जमाना: तो किससे कह रहे हो मेरे अलावा कौन है यहाँ!
नया जमाना : अबे वो तो मैंने तेरे को ही कहा था ! (फिर फ़ोन पे) अरे नहीं भाई!!! मैं तुमसे नहीं कह रहा!
पुराना जमाना : कमाल है मुझसे ही कह रहे हो और फिर कह रहे हो की तुझसे नहीं कहा रहा!
नया ज़माना : अबे तेरे को ही तो बोला था और बोला क्या था बोल भी रहा हूँ सीधी तरह से यहाँ से फुट ले नहीं तो आज तेरी खैर नहीं !!!( उधर चिप्स वार्ता में फिरसे) अरे नहीं भाई आप कहां जाओगे आपसे नहीं कह रहा!
पुराना ज़माना: देख भाई तू आदमी भले घर का है तेरा मस्तिष्क संतुलन बिगड़ गया है जल्दी से इलाज कर देर हो गयी तो फिर ठीक ना हो पायेगा!!
नया ज़माना : एक मिनट भाई यहाँ एक बन्दा है ज़रा लाइन कट करना !( पुराना जमाना एक पागल की बातों का जिस तरह रिएक्श होना चाहिए वैसा ही रिएक्शन करता है )
नया ज़माना एक हलकी सी चोट करता है अपने माथे पे !( मतलब लाइन डिस्कनेक्ट करता है ) फिर पुराने जमाने से कहता है : क्या तकलीफ है मिस्टर आपको !
पुराना ज़माना : देखो भाई तकलीफ मुझे नहीं नहीं तकलीफ तुम्हे हैं !!
नया जमाना : तू कोई पाग़ल है !!
पुराना ज़माना : कमाल है ये भी भूल गया की पाग़ल ये खुद है! खैर इसका दोष नहीं पाग़ल अक्सर यही समझता है की सामने वाला पाग़ल है !!!ही.ही.ही.
नया ज़माना : देख भाई तू कौन है कहाँ से आया है अच्छी तरह से पूछ रहा हूँ बता दे !!
पुराना जमाना : भाई में सन २०१० हूँ ! और तू कौन है तुझे क्या तकलीफ है !!
नया जमाना : अबे मैं २०५० हूँ !!
पुराना ज़माना : तो क्या तुम मुझसे ४० साल आगे हो???
नया जमाना : बेशक भाई !
पुराना जमाना : तो क्या नए जमाने के पागल ऐसे होते हैं !!
नया ज़माना : अबे कौन पागल ?
पुराना जमाना : कमाल है तुम और कौन ?
नया जमाना : तुमने मुझमे पागलों वाले कौन से लक्षण देखे भाई !
पुराना ज़माना : अकेले बातें करना पहले मुझे डांटना फिर प्यार से समझाना ये पागलपन नहीं था तो और क्या था !!
नया ज़माना:( लम्बी हंसी हंसते हुए ) हा..हा..हा..हा..
पुराना जमाना : लगता है इसे फिर पागलपन का दौरा पडा है !
नया ज़माना : (अपनी हंसी पे काबू पाते हुए ) अरे भाई में फोन पे बात कर रहा था !!
पुराना ज़माना : लगता है ये फ़ोन की वजह से ही पाग़ल हुआ है !!
नया ज़माना : हां.हा..हां. नहीं नहीं मैं पागल नहीं हूँ भाई आज कल फोन कोई हाथों में ले कर नहीं घूमते सर में चिप्स डाली हुई है ये देख सर के ऊपर ये अरियल और ये देख कान के पास चार्ज करने के लिए तार !!
पुराना जमाना : ओह माई गोड! इतनी तरक्की !!!
नया जमाना : अब आप मेहरबानी करके जाइए !! कहने के बाद नया जमाना मुह से बोल कर नंबर मिलाता है नाइन नाइन थ्री कहता कहता चला जाता है|
पुराना जमाना बुदबुदाते जाता है : हे भगवान् ये क्या हो गया मोबाइल हाथ से निकल कर सर में घुस गया !!! अजीब लीला है तेरी !!! (आगे एक आदमी को और देखता है जो अकेला ही बात कर रहा है)
वो नाना की तरह चीख चीख कर बोल रहा है : अच्छा है अच्छा है सब सब मरेंगे सबके सब मरेंगे !!! इतने में नए जमाने का आदमी पुराने जमाने के बगल से एक गुजरता है!
पुराना ज़माना कहता है : हं हं हं फोन पे बात कर रहा है !
आदमी कहता है : जा तू भी उसके साथ बैठ जा !!
पुराना जमाना : क्यों ?
आदमी : अबे वो फोन पे बात नहीं कर रहा पाग़ल है !
पुराना जमाना : कैसे पता चला की वो फोन पे बात नहीं कर रहा पागल है ?
आदमी : अबे उसके सर पे तेरे को एरियल दिखा ? कान के पास चार्ज करने के तार दिखे?
पुराना ज़माना :( गोर से देखते हुए): नहीं भाई वो तो नहीं दिखा !
आदमी : बस! यही पहचान है एक पागल और मोबाइल धारी की!!!( कहकर आदमी चला गया )
पुराना ज़माना : कमाल है क्या पहचान है ! अगर किसी ने बिना अरियल और बिना charger वाली चिप्स तैयार कर ली तो क्या होगा!!!

समीरजी, दिग्म्बरजी, ललित जी और सुलभ जयसवाल जी की रचनाए महफ़िल में !!!

महफ़िल में इस हफ्ते शरीक की गई ४ रचनाए ! दिगम्बर जी नस्वा, समीर लाल "समीर" सुलभ जायसवाल "सतरंगी" जी ललित जी शर्मा की बहुमूल्य रचनाए !
1.Digambar Naswa



2 Sulabbh Jaiswal




3 Sameer lalji sameer



4.Lalit ji Sharma

Thursday, January 21, 2010

हंसी के हथोड़े !!!

आज हंसी के हथोड़ो का प्रहार डिमांड के अनुसार है !!!

Tuesday, January 19, 2010

मां सरस्वती!

जय माँ विद्या दायिनी वादवदिनी माता सरस्वती |
मंगल कर सुमंगल कर, दे दे मैया सु-मति !!

नए गीत नए तराने सब कुछ है इस जहां मैं |
खो गयी है समझ प्यार प्रीत की, ढूंढूं कहाँ मैं !
ज्ञान बहुत है इंसां को बस दे दे उनको सदमती!


मन के कुंजी पटल पर वैर भाव वाले शब्द न हो |
मेरे बोल से दिल न दुखे मानवता निशब्द न हो ||
नवचेतना नवसृजन को दे दे मैया अब गति !

जिंदगी और मातृभूमि की रचनाए!!! निपुण पाण्डेय जी और समीरजी !!!

मिष्टी महफ़िल में शरीक की गयी रचनाए !

निपुण पांडेयजी


2.समीर लालजी "समीर"


ललित शर्मा जी ने शुभकामनाएं भेजी हैं.

Sunday, January 17, 2010

जिंदगी इको है यानी गूंज है!!!

☃ ये कहानी मुझे गूगल के जरिये सर्च करने पर मिली !! जिसने भी लिखी है बहुत सुन्दर है!!!

पहेला के पहेलवान है दिनेश राय जी द्विवेदी !!!

सही जवाब है
16 January 2010 8:13 PM
दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said...
13 नारियल।
एक बोरे में २५ नारियल! दो बोरे हैं तो दो बोरों का कमीशन २ नारियल प्रत्येक स्टेशन पे !एक बोरा खोलेगा और दोनों बोरों का कमीशन एक ही बोरे से देगा | १२ वां स्टेशन पास करते ही २४ नारियल दे चुका होगा ! १३ वां स्टेशन आने से बोरे का बचा हुआ एक नारियल उस एक बोरे का देगा! १३ स्टेशन चले गए और १२ स्टेशन बाकी हैं ! अब १२ स्टेशन हैं और २५ नारियल ! घर पहुंचते पहुंचते १२ नारियल और दे चुका होगा ! उसके पास बचे १३ नारियल !
दिनेशराय जी को बधाई दीजिये !!!
devendraji ne एक नारियल की भूल करदी थी!!
आप सभी का धन्यवाद जिन्होंने अपनी बहुमूल्य टिप्पिया दी!

Saturday, January 16, 2010

पहेली नहीं ये पहेला है !!!

पहेली सभी पूछते है मैं पूछ रहा हूँ पहेला!!
एक व्यक्ति चेन्नई से दो बोरों में नारियल लेकर, ट्रेन से आ रहा हैं!!!
दोनों बोरों में २५-२५ नारियल हैं ! जहां से वो व्यक्ति ट्रेन में चढ़ा है वहाँ से उसके गांव तक २५ स्टेशन पड़ते हैं!
हर एक स्टेशन पे एक बोरे का एक नारियल देना पड़ता है !!
आपको बताना ये है की वो घर कितने नारियल लेकर आ पायेगा!

सही जवाब शाम को ५ बजे प्रकाशित किया जाएगा!!!

Monday, January 11, 2010

हंसी के हथोड़े में समीरजी ताउजी और डाक्टर झटका !!!सौजन्य पंडित डी. के शर्मा "वत्स " और समीर लाल जी "समीर"

पहला इंट्रो लाइनर और नेपाली में जोक्स !!!



2.
समीरजी और ताउजी की लेन देन!!!


3.
ताउजी शहर में होटल के कमरे में !!

4 जन्नत कहाँ है !


5>डाक्टर झटका और मरीज

Sunday, January 10, 2010

जैसे को तैसा !!!

चुन्नी भैया खेत से घर की तरफ आ रहे थे ! पैरों में चप्पले डाले और वो रेगिस्तान का चुरू का रेतीला इलाका !! चप्पलों की आवाज़े पटा पट पटा पट !!!
पीछे से चल रहे एक गंजे ने आवाज़ लगाईं: अरे ऐ पट पटिये कोनसा गाँव हैं !
चुन्नी भैया को पट पटिया नाम पसंद नहीं आया उसकी गंजी खोपड़ी को देख के बोले: चप्पड़ गंज |
उस गंजे आदमी ने फिर पूछा : वहाँ के खेतों का क्या हाल है धान पात है की नहीं !
चुन्नी भैया उसके सर की तरफ देखते हुए कहा : क्या बताएं भाई बिच में तो ज़मीन बंजर है पर बाहरी हिस्से में कुछ रंगते खड़े हैं!!!

Thursday, January 7, 2010

सुनिए नीरज जी, ललितजी , और समीरलाल समीरजी की बेहतरीन रचनाएं|

खुशामदीद करता हूँ आप सभी का मैं "अक्स"|महफ़िल में सुनिए नीरज जी, ललितजी , और समीरलाल समीरजी की बेहतरीन रचनाएं!
आप भी अपनी रचनाएं भेज सकते हैं sikkim@radiomisty.co.in पर
NEERAJ JI
1.

LALIT JI SHARMA
2.


SAMEERLAL ji "SAMEER"
3.