Thursday, June 11, 2009
थूक वाले बाबा
साधू महात्माओं का बढ़ता संसार अजीबो गरीब बाबे, कामख्या गुवाहाटी मैं अम्बुवासी मेले में एक बाबा मुझे मिले जो की चिवंगुम वाले बाबा के नाम से जाने जाते थे, वो चिवंगम चबाते रहते थे और सबसे कहते थे की चिवंगम खाने से तन और मन दोनों की व्याधियां मिट जाती हैं, बाबा बनने के पीछे कुछ कारण छिपे होते हैं,आइये एक बाबा का किस्सा बयाँ करता हूँ!कोई फ़िल्मी स्टार आने वाला था, बहुत भारी भीड़ लगी थी, उसी भीड़ मैं एक बेरोजगार युवक जिसके दाढ़ी काफी लम्बी लम्बी थी,अपने दोस्त के साथ खडा था, जिसको खैनी खाने की लत थी, और खैनी खाकर कहीं भी थूक देना उसके लिए आम बात थी, तो आदतन उसने थूका और थूक पास मैं खड़े नौजवान पर जा गिरा और नोजवान भी ऐसा तगड़ा हट्टा कट्टा की अगर थप्पड़ रसीद कर दे तो डॉक्टर के पास इलाज न मिले, अब ऐसे व्यक्ति पर थूक गिरना मतलब सरे आम मुसीबत को गले लगाना था,वही हुआ नौजवान गुस्से से फुंफकारता हुआ, दढियल की तरफ लपका और गिरेबान को ऐसे पकडा जैसे कसाई बकरे को पकड़ता है, दढियल लट्पटाने लगा, नौजवान गुस्से से बोला : क्यों बे थूकने से पहले देख नहीं सकते?? अब दढियल क्या बोले गिरेबान छूटे तो हलक से आवाज निकले, पर उसी समय दढियल के दोस्त ने मोर्चा संभाला और बोला : अरे मुर्ख नौजवान क्या कर रहे हो इतने पहुंचे हुए महात्मा को इस कदर बेइज्जत कर रहे हो? नौजवान थोडा चकराया बोला: काहे का महात्मा ? दढियल का दोस्त बोला:अबे ये थूक वाले बाबा है जिसका कल्याण करना होता है बिना पूछे थूक देते हैं, लेकिन नौजवान कहाँ मानने वाला था बोला : आज ऐसा इलाज करूँगा की थूकने का बोलने से भी इनके गले से थूक नहीं निकलेगा, बाबाजी बनते हैं? अब इसी धक्का मुक्कि में दढियल को नौजवान के पाकेट मैं रखी लॉटरी की टिकट दिख गयी, अब दढियल बोला; उहू हु हु हु हु बच्चा तुम्हारी बहुत जल्दी एक करोड़ की लाटरी लगने वाली है, अब ये बात नौजवान को जम गई वो सोचने पर मजबूर हो गया की आखिर इसको कैसे पता चला की मैंने प्लेविन की एक करोड़ की लाटरी ले रखी है चमत्कार को नमस्कार है एक करोड़ की लाटरी आ रही है अगर बाबाजी को नाराज कर दिया तो आती हुई किस्मत रोक देंगे बाबा, नौजवान का गुस्सा ऐसे गायब हो गया जैसे गुस्से मैं भरी हुई माँ का गुस्सा अपने बच्चे को चोट लगने से गायब होता है, नौजवान दढियल के चरणों मैं लोटते हुए कहने लगा : बाबजी मुझे माफ़ कर दीजिये मैं अज्ञानी,मुर्ख नासमझ, नादान,परेशान,आपकी महिमा को समझ नहीं पाया, अब दढियल ने थोडी चैन की सांस ली, काफी भीड़ इक्कठी हो गयी इस माजरे मैं,नौजवान कहता रहा : बाबाजी मेरे एक करोड़ मत रोकिये उन्हें आने दीजिये, मैं बहुत गरीब आदमी हूँ बाबाजी, एक बार और थूक दीजिये बाबाजी एक बार और,दढियल बड़ी शान से बोला: घबरा मत बच्चा हम तो दुनिया के मान अपमान से परे हैं, आकथू!!!! और दढियल ने बची हुई खैनी का सारा झोल नौजवान के ऊपर उडेल दिया, नौजवान : मैं धन्य हो गया बाबाजी मैं धन्य हो गया, अब बाबाजी ने सोचा अब यहाँ से कल्टी मार लेने में ही भलाई है, दढियल बोला: ठीक है बच्चा अब जाओ और देखो दो दिन नहाना मत, (खैर सब बाबाओं की कुछ न कुछ अलग विशेसता तो दिखानी पड़ेगी न भाई) अब नौजवान चला गया, दढियल और उसका दोस्त अपनी खैर मनाते हुए घर की और चले की भाई जान बची तो लाखों पाए, बात को तीन दिन ही बीते थे की उस नौजवान की संजोग से सचमुच एक करोड़ की लाटरी निकल पड़ी, अब तो नौजवान दढियल को ढूँढ़ते ढूदते दढियल के घर पहुँच लिया, अब दढियल ने दूर से देखा तो झट पहचान गया, पहचानना तो था ही मुसीबत को कोई कैसे भूल सकता है,दढियल ने सोचा अब खैर नहीं ये आज बाबाजी बना के छोड़ेगा, इससे पहले की दढियल कुछ कहता नौजवान दंडवत करते हुए बोला : धन्य हो बाबाजी आप धन्य हो,मुझ गरीब का आपने कल्याण कर दिया बाबाजी मेरी लोटरी लगा दी,मुझे एक करोड़ रुपैये मिले हैं बाबा और मिलते ही मैं आपके पास आया हूँ, अब दढियल ने स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए स्थिति को काबू मैं किया बोले: उहू हु हु हु हु बच्चा हमें पता है, नौजवान बोला: बाबाजी आपके भंडारे मैं दस लाख चढाना चाहता हूँ ना मत कीजियेगा नहीं तो मेरा दिल दुखेगा, दढियल की आंखें चमक गयी, खैनी को मन ही मन धन्यवाद देता हुआ बोला: देखो बच्चा माया मोह से हम बंधे नहीं है पर तुमने हमें अपने बस कर लिया तो मना भी नहीं कर सकते भगवन तो भक्तों के बस होते हैं,जब तुम इतनी जिद ही कर रहे हो तो दस नहीं ग्यारह लाख चढा दो, शुभ होते हैं, नौजवान ख़ुशी से झूमता हुआ: बाबाजी आपने मेरी विनती स्वीकार करके मुझ पर एक और अहसान किया है, कहकर चरणों में ऐसा लेटा की उठने का नाम नहीं ले रहा प्रेमाश्रुओं की झडी लग गयी वातावरण पूरा भक्तिमय हो उठा, जोर से टिली मार के नौजवान ने जयकारा लगाया :थूक वाले बाबा की जय!!अब आस पास के लोगों मैं भी श्रद्धा जगी और थुकवाले बाबा के जयकारों से वातावरण गूंज उठा, अब क्या था सब बाबा जी से थुकवाने लगे, कईयों के काम संजोग से बन जाते, बाबाजी का चर्चा दूर दूर तक फैलता गया, बाबाजी और बाबाजी का दोस्त दोनों चढावे से मौज करने लगे, दूर दूर राज्यों से लोग आने लगे बाबाजी का पर्चा लोगों को रास आ रहा था पर इतना थूक कहाँ से लायें, अब तो बाबाजी थूक को वेस्ट भी नहीं कर सकते थे, रात को सोते वक़्त का थूक लोटे मैं जमा करते, पान खा कर लाल पिक भी डब्बियों मैं पेक करते,सोच के समय का थूक भी डब्बियों मैं जमा करते, अब जो दूर से आते थे वो डब्बियों वाला थूक ले कर जाते थे, कोई पूछता महाराज ये लाल थूक कोनसे कस्ट निवारण करता है, बाबाजी समझाते: बच्चा ये लाल थूक पानासन थूक है इससे दरिद्रता नस्ट होती है और घर मैं लाल कागज में रखने वाला सामान(सोना) आता है! और ये जो सफ़ेद वाला थूक है न ये सोचासन के समय का थूक है इससे कब्ज, एसिडीटी, और उदर के सारे कस्ट मिटते हैं! भीड़ इतनी की पूछो मत लोग थुकवाने के लिए उतावले अब माइक पे अनाउंस भी हो रहा है: कृपया लाइन से थुकवाने आते रहे, जिन्होंने थुकवा लिया है वो आगे बढ़ते रहें, एक आदमी एक बार ही थुक्वाए, माता बहनों को पहले थुकवाने देवें, बच्चों को थुकवाने के लिए गोदी मैं ले के रखें, और जो अपने साथ अपने लोगों को नहीं ला सके उनके लिए थूक की डब्बियों की व्यवस्था की गयी है ड्ब्बीयाँ ले जावें, और कृपया बाबाजी को अच्छी खैनी चढावें, थोडी देर रुक जाइये बाबाजी खेनासन कर रहें हैं (खैनी खा रहें हैं), बस अब क्या था बाबाजी से थुकवाने चुनाव के समय नेता लोग भी आने लगे,बाबाजी कहते असली थूक तो आप के लिए ही है,जनता बेचारी भोली है ओरिजनल थूक तो आप लोगों पर थूकता हूँ !!!आक थू!!!!!
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