Tuesday, September 29, 2009

भविष्य के बाबाजी!!!

बाबाओं की दुनिया में एक बार फिरसे स्वागत है, बाबाओं का मेला लगा हुआ है जगह जगह पंडाल बाबा ज्ञान देते हुए: भक्तजनों ! इस दुखी संसार में इतने दुःख है की जिनकी गणना करना ही मुश्किल है|
मैं बोल्यो: बाबाजी आपको ही इतने दुःख क्यों दिखाई दे रहे हैं|
बाबाजी : सब ग्रहों का चक्कर है |
मैं बोल्यो:बाबाजी आप क्या अन्तरिक्ष में रहते हैं?|
बाबा : देखो बच्चा ये शनि यन्त्र ले जाओ इससे शनि शांत रहेगा |
मैं बोल्यो:बाबाजी ये कोई शनि महाराज का रिमोट है क्या आप तो शनि से भी तगड़े हो|
बाबाजी:शनिवार के दिन काला वस्त्र धारण करना |
मैं बोल्यो :क्यों बाबाजी शनि महाराज सांड हैं क्या जो लाल रंग से चिढ जायेंगे|
बाबाओं से मुझे लगता है वो दिन दूर नहीं जब बाबा कहेंगे: देखो बच्चा ए.सी कोइसा लो, टी.वी कोइसा लो पर सिम हमेशां एयरटेल का ही लेना |
मैं बोल्यो: बाबाजी वो दुसरे पंडाल वाले बाबा तो रिलायंस का लेने को कह रहे थे |
बाबा: देखो बच्चा एयरटेल में अस .टी.डी दर बहुत कम है और प्रभु प्रशन्न होते हैं |
मैं बोल्यो: कमाल है बाबाजी इससे प्रभु का क्या कनेक्शन |
बाबा : ज्ञान की गुह्य गति को समझो मुर्ख |
मैं बोल्यो : समझा दो प्रभु |
बाबा: अरे मुर्ख जो भी मोबाइल में काल आती है वो आसमान से आती है |
मैं बोल्यो : तो? बाबा: अरे नासमझ इसी आसमान के मिलावट से शरीर बना है मतलब प्रभु का अंश है |
मैं बोल्यो: वो तो सब मोबाइल में ही अता है |
बाबा: यही तो बात है बच्चा|
मैं बोल्यो : इब इसमें के बात है ?
बाबा: बच्चा एयरटेल का नेटवर्क इतना तगड़ा है की इसमे ज्यादा आसमानी शक्ति आती है और काल स्पष्ट सुनाई देती है |
मैं बोल्यो: ओह तो बाबा बी.एस.एन.एल. तो फिर और तगड़ा होता होगा |
बाबा: अरे कोई इस नासमझ को समझाओ |
मैं बोल्यो: बाबाजी तो आप है ? बाबजी: तो?
मैं बोल्यो: तो आप ही समझा दो |
बाबजी :अरे मुर्ख बालक ! बी.एस.एन.एल सरकारी है और सरकारी दफ्तरों में घुस और हराम का माल ज्यादा खाते है | इसलिए उसमें आसमानी शक्ति बिलकुल नहीं आती है |
मैं बोल्यो: कमाल है बाबाजी अब एक बात और बता दीजिये ?
बाबा: पूछ |
मैं बोल्यो: ये सिम कहाँ मिले ?
बाबाजी अपने झोले में से निकाल के: ले बच्चा |
मैं बोल्यो: बाबाजी फार्म ?
बाबजी : बच्चा बाद में भर देना पर पैसे अभी दे दो |
मैं बोल्यो : अगर बाद मैं ना भरूं तो ?
बाबाजी: वो मैं अपने आप ही भरवा ल्यंगा |
मैं बोल्यो : बाबाजी अब जाता जाता एक बात और बता दयों|
बाबजी : पूछ ले बच्चा | मैं बोल्यो : और के के सामान बेचो हो |
मैं तो सोचा बाबाजी नाराज हो जायेंगे पर नहीं बाबाजी ने अपना मेनू पकडा दिया |
| जय हो |
|| इति :||

Tuesday, September 22, 2009

शेरनी की धुलाई !!


आज कालू बन्दर का मुड़ बड़ा उखडा हुआ था, मरने मारने पे उतारू था | सामने देखा शेर की मांद, जोर से चिल्लाया :अबे शाले शेर की औलाद बाहर निकल, पर शेर कुछ न बोला|
कुछ देर जवाब का इन्तेजार किया फिर बोला: शाले मर गया क्या? बहरा हो गया क्या ? बहर निकल गीदड़ की औलाद !!
शेरनी को ताज्जुब हुआ, एक अदना सा बन्दर जंगल के राजा को इस तरह गालियाँ बक रहा है, और सिंहराज के कानो पर जूं तक नहीं रेंग रही, शेरनी ने शेर से कहा: आप उस बन्दर को कुछ नहीं कह रहे ?? मैं तो कहती हूँ बाहर निकल के चीर डालिए !
बाहर खड़े बन्दर को सुनाई दे गयी शेरनी की आवाज बन्दर बोला: अरी ओ फूहड़ शेरनी दो मर्दों के बिच में मत बोल वरना तेरी तो.... ऐसी की तैसी करके रख दूंगा |
शेरनी तो जैसे गुस्से से पागल हो गई और बोली: आज इस बन्दर के बच्चे को मैं नहीं छोडूंगी बुरी मौत मारूंगी |
शेर शांत कराने की कोशिश करता बोला: जाने दो भगवान् नादान बन्दर है | बन्दर बाहर से सब सुन रहा था|
बोला: अरे ओ भड़वे शाले तेरी हिम्मत नहीं है तो इसे ही आने दो अपने आप को बहुत शातिर समझ रही है, साली एक बार बाहर आ गयी तो वापस अन्दर जाने के लायक नहीं रहेगी |
शेरनी ने बन्दर के पीछे उड़ान भरी शेर रुको!!! रुको !!!!कहते ही रह गया | अब बन्दर आगे शेरनी पीछे दौड़ते दौड़ते ..एक लंबा पतला पाइप ..... फच्चाक....से बन्दर पाइप के अन्दर घुस लिया| शेरनी भी गुस्से में आव देखा न ताव पाइप के अन्दर घुसी पर ये क्या ??? पाइप इतना पतला की शेरनी पेट तक अन्दर फंस गयी | बन्दर दूसरी साइड से बाहर निकला और शेरनी के पिछवाडे खडा होकर : साली अपने आपको बहुत तुर्रम खान समझती है ऐसा कहके पिछवाडे में लातों की बारिस करने लगा, मोटा सा डंडा ले कर पिछवाडे को सुजा दिया, और सिटी बजाता हुआ, निकल लिया| अब जैसे तैसे शेरनी निकली मुह लटकाए वापस मांद में गयी | शेर देखते ही बोला : आ गयी ना पिछवाडा कुटवा के, यही हादशा मेरे साथ ७ बार हो चुका |
इसलिए गुस्से पर काबू रखके बुद्धि से सोचो की एक निर्बल बलवान को क्यूं उकसाता है !!

Tuesday, September 1, 2009

झगड़े लफड़े !!

गांव में कमला और धापली बहुत झगडालू औरतें हैं | एक बार दोनों आपस में ही भीड़ गयी | अब दो झगडालू औरतें आपस में झगडें तो झगडा सच मुच दर्शनीय होगा | लच्छेदार गलियों का प्रयोग झगड़े में चार चाँद लगा रहे थे |
कमला : तू तो बड़ी कमीनी है, अच्छी तरह जानती हूँ तू क्या क्या गुल खिलाती है खेत में |
धापली : तेरे जैसी कमीनी भी नहीं हूँ, पड़ोस में छाछ लेने के बहाने जा कर क्या क्या नैन मटक्का करती है मुझे सब पता है |
कमला: तेरे तो पुरे खान दान की की कहानी मुझे पता है|
धापली:और तेरे खानदान की कहानी ?जैसे मुझे पता नहीं है !
कमला : अरे तेरी दादी तो तेरे दादे को छोड़ के भाग गयी थी |
धापली: रहने दे मेरा मुह मत खुलवा ! तेरी बुआ जो धोबी के साथ भाग गयी थी ? खानदानी इश्कबाज रहे हो तुम लोग |
कमला : अरी कलमुही तेरे को तो मैं किसी गधे के साथ भेजूंगी |
(इतने में चुन्नी भैया उधर से गुजर रहे थे, धापली ने चुन्नी भैया को देखकर कहा ): अरी नाशपिटी तेरे को मैं इस चुन्नी लाल के साथ भेजूंगी ! (अब चुन्नी भैया को ये बात सुनाई दे गई और चुन्नी लालजी वहीँ खड़े हो गए| झगडा लगातार चलता रहा |आधी घंटा खड़े रहने के बाद चुन्नी भैया उनके नजदीक आये और धापली से बोले): अरे धापली मैं रुकूँ की जाऊं |
(फिर क्या था कमला टूट पड़ी चुन्नी पे)