परदेश की आबो हवा अब रास ना आवे |
घर आजा परदेशी तेरा देश बुलावे ||
वो सुनहले धोरे कितना मुझको मिस करते है|
कब आवोगे साथी मनमे कितना रिस करते हैं ||
जाने कब आये ये फरवरी ११ का दिन |
एक एक साल लगे है हर पल हर छीन||
कुछ दिन कुछ ना कहूंगा |
दिल के करीब ब्लॉग से दूर रहूंगा !!!
Monday, February 8, 2010
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