Thursday, October 29, 2009

भैंसे का चढावा भैरूंजी को !!!

चुन्नी भैया को शादी किये ८ साल हो गए थे लेकिन घर में किलकारियों की गूंज का अभी भी इन्तेजार था ! भैरव देव के पक्के भक्त चुन्नी भैया भैरूंजी के देवले पहुंचे और भैरूंजी से अरदास की :हे भैरूं बाबा एक बच्चा दे दे मुझे भैंसा चढा दूंगा तुझे ! अब मंदिवाडे का टेम भैंसे को आता देख भैरूं जी भी जीभ फिराकर मन ही मन ठान लिया की चुन्नी को बच्चा देना है, चाहे कहीं से ला कर दो,काली मैया के स्टॉक से चुराकर ही देना पड़े ,पर चुन्नी को बच्चा देकर भैंसा हथियाना ही है ! फिर क्या था चुन्नी भैया के घर नोवें महीने एक शिशु ने जन्म लिया जिसका नाम भैरूं दान रखा ! चुन्नी भैया अपना वादा नहीं भूले थे| एक भैंसा लिया और चल पड़े भैरूं जी के देवले | अब तो भैंसे को देखते ही भैरूंजी की बांछें खिल गयी, मन ही मन चुन्नी को आशीर्वाद देने लगे ! अब चुन्नी भैया की इतनी हिम्मत नहीं बनी की भैसे की बलि दी जाए ! सो सोच विचार के भैंसे को भैरूजी के थान से बांध दिया| अब भैरूंजी की हालत खराब लेने के देने हो गए | इधर भैंसा मन ही मन सोच रहा था, कैसा बेवकूफ इंसान है यहाँ लाकर बांधा है, रस्सी तुडाने के जोर लगाने लगा| जोर लगा लगा कर पुरे थान को उखाड़ लिया और वहाँ से भागते भागते भैसा काली मैया के मंदिर के सामने से गुजरा पीछे घसीटते भैरूंजी को काली मैया ने देखा और बोली : अरे भैरू ये क्या हाल हो रखा है !!!! भैरूंजी गुस्से में बोले : मंदिर में बैठी मटका कर रही हो कभी चुन्नी को बेटा दे के देख , तेरा भी यही हाल होगा !!!