जय माँ विद्या दायिनी वादवदिनी माता सरस्वती |
मंगल कर सुमंगल कर, दे दे मैया सु-मति !!
नए गीत नए तराने सब कुछ है इस जहां मैं |
खो गयी है समझ प्यार प्रीत की, ढूंढूं कहाँ मैं !
ज्ञान बहुत है इंसां को बस दे दे उनको सदमती!
मन के कुंजी पटल पर वैर भाव वाले शब्द न हो |
मेरे बोल से दिल न दुखे मानवता निशब्द न हो ||
नवचेतना नवसृजन को दे दे मैया अब गति !
Tuesday, January 19, 2010
जिंदगी और मातृभूमि की रचनाए!!! निपुण पाण्डेय जी और समीरजी !!!
मिष्टी महफ़िल में शरीक की गयी रचनाए !
निपुण पांडेयजी
2.समीर लालजी "समीर"
ललित शर्मा जी ने शुभकामनाएं भेजी हैं.
निपुण पांडेयजी
2.समीर लालजी "समीर"
ललित शर्मा जी ने शुभकामनाएं भेजी हैं.
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