Thursday, October 29, 2009
भैंसे का चढावा भैरूंजी को !!!
Monday, October 26, 2009
कलियुग के अवतार चिरक देवजी !!!
हमारे हिन्दू धर्म मैं कितने देवी देवता हैं कोई बता सकता है?? हाँ बता सकता है 33,०००,००० || न इससे कम न इससे ज्यादा | अब ज़रा कोई भाई इनके नाम भी गिना दे तो बड़ी मेहरबानी होगी!! प्रचलित देवी देवताओं को डिपार्टमेन्ट वाइज सबको विभक्त किया गया है, मौसम विभाग के देवी देवता अलग हैं, ज्ञान ध्यान के अलग हैं, धन दौलत के अलग और, वीर शौर्य के अलग, सबकी अपनी अपनी टीम है, अपनी अपनी महिमा है,
खैर अब जिन देवी देवताओं को हम नहीं जानते उनमे से एक का किस्सा मैं आपको बतलाने जा रहा हूँ||
अत्यंत प्राचीन समय की बात है, जब ब्राह्मणों का जोर बड़ी जोर शोर से था| पंडितजी ने बोल दिया तो बस लोहे की लकीर है, पंडित जी बोल दिया की आज तिथि साठ्युं (६०) है तो कोई माई का लाल नहीं की उन्सठ्युं (५९) कर सके ||तो उसी ब्राह्मणों के मोहल्ले मैं एक गरीब हरिजन प्रजाति(प्रजाति कहने का तात्पर्य यहाँ ये है की उन्हें पशु सामान समझा जाना ) की महिला अपने शिशु को गोद लिए गयी | और बच्चे को अतिसार की शिकायत थी |जैसे ही वो मंदिर के नजदीक से गुजरी की शिशु ने चिर्क दिया (राजस्थानी भासा मैं चिर्क का मतलब दस्त, जो छोटा बच्चा करता है, बडो पर ये लागु नहीं होता बडो के दस्त को तो तल्डा कहते हैं )| अब जैसे ही बच्चे ने चिरका किया बेचारी गरीब महिला के होशो हवास स्तब्ध करे तो क्या करे?? चिरका वो भी ब्राह्मणों के मोहल्ले में और कयामत की, मंदिर के सामने !!! ब्राह्मणों का कहर उसकी आँखों के सामने घुमने लगा !
अचानक मंदिर से घंटी की ध्वनि सुनी तो अंदाजा लगाते देर न लगी की पंडितजी अन्दर है और वो निकले की निकले !! साफ़ करने जैसे ही बैठी पंडितजी राम राम का उच्चारण करते ही निकले !! अब काटो तो खून नहीं !! अब दरिद्रा के मन में प्रलयंकारी तूफ़ान उठाने लगे गात कम्पायमान हो गया झुमने लगी लटें बिखर गयी !
अनायास ही मुह से निकलने लगा: चिरक !!चिरक!! चिरक!! पंडितजी ने देखा तो भयभीत हो गए डरते डरते पास आये बोले : कौन है ? और ये क्या है ?? मंदिर के सामने ??
अचानक स्टॉक में शुसुप्त पडा मस्तिस्क जगा और महिला के गले से उदगार निकले : हे पंडित तुगना (तुगनाराम) तुम्हारा काम हो गया हो सोगुना ! चिरक चिरक चिरक |
पंडितजी हडबडा कर बोले : क्या कह रही हो माई !! बात समझ में ना आई !!
अब महिला ने रोद्र रूप धारण कर लिया यानी आर पार का सौदा समझ लिया था बोली: अरे शठ!! नादान जनता को मुर्ख बना रहा है ?? देख तेरे इस कुकृत्य से नाराज हो कर चिरक देव ने अवतार लिया है | कह क़र उंगली से बच्चे का चिरका दिखा दिया |
पंडित तुगनाराम ने देखा, और बोला: क्क्क्या कह रही हो | महिला का मस्तिष्क कंप्यूटर की भांति चल रहा था कहने लगी: कल रात सपने में प्रभु ने दरश दिए और कहा फलां फलां गाँव में में मेरा कलियुगी अवतार चिरक देव के रूप में होगा, और पंडित तुगनाराम को तुम अवगत कराओगी|
तुग्नारामजी ने जोर से टिल्ली मारी: जय चिरक देव, फिर क्या था पूरा गाँव उमड़ पडा चिरक दर्शन को, और चिरक महिमा चिरक गुणगान, से वातावरण गुंजायमान हो उठा, वो दरिद्रा अपनी जान बचा कर खिसक ली, इस हो हल्ला में किसी ने नहीं पूछा वो कहाँ से आई है कौन है ?? अचानक लोगों का ध्यान गया की वो महिला कहाँ है ? लेकिन महिला का अता पता ही नहीं| हवा को बहते वक़्त कहाँ लगता है ! हवा बही की वो महिला कोई दूत थी "चिरक दूत" जो की अंतर्ध्यान हो गयी ! मारे श्रद्घा के लोगों का बुरा हाल था| आँखों से अश्रु की गंगा का सैलाब बहाते भक्त दंडवत करते, और जय चिरक देव का उच्चारण करते ! हवा बहते बहते मीडिया को भी लगी और केमरा थामे आजतक और इंडिया टी वि. के बहादुर सिपाही चिरक स्थल में आ धमके फिर क्या था ! वही हुआ जो नहीं होना चाहिए था !! गरज गरज कर बोलते एंकर: जी हाँ फलां गाँव में अवतार हुआ चिरक देव जी का कलियुग के अवतारी चिरक देव !!!जिसकी दूत बनकर आई एक महिला जो की अंतर्ध्यान हो गयी !! जी हाँ ये कवरेज सिर्फ हमारे चेनल पे है, जाइएगा नहीं क्यूंकि विस्तृत जानकारी आपको केवल और केवल मिलेगी एक मात्र हमारे साथ !! दुसरा न्यूज़ चेनल लगाओ तो वही सेम बात उस चेनल पर भी !!! भारत में श्रधालुओं की कमी कहाँ हैं !!! दूर दूर से भक्तगण आने लगे, की अभी नए नए देव हैं इसलिए जो मांगोगे हाथो हाथ मिलेगा, और चिरक देव का चर्चा बुलंदियों पर| इतना चढावा आया की आलिशान मंदिर बनवाया गया ! चिरक चालिसे, चिरक देव जी की आरती, चिरक देव जी की महिमा, चिरक जन्म कथा, चिरक मंत्र, चिरक ताबीज, चिरक लहरी, चिरक चित्र बाज़ार में हाथों हाथ उपलब्ध, जैसे किसी ने पहले ही छाप के रखे हों या कोई पूर्व नियोजित कार्य क्रम हो !! ये काल्पनिक कथा थी पर राजस्थान में हकीक़त में चिरक देव के नाम से एक मंदिर हैं, हो सकता महाराज चिरक देव जी की प्रेरणा ने ही ये लिखवाया हो |
!!ओंम चिर्क्देवाय उदर्निवासाय:नमो नमा: