अब बरात आई कईयों ने चिलम ग़ूड्ग़ूडाई बरात चली गयी चिलम रह गयी |शंकर लाजी चिलम ले कर चुन्नी भैया के पास गए और बोले :चुन्नी भैया बुरा मत मानना पर ये चिलम अगर आप वापस ले सकते हैं तो ले लीजिये सिर्फ एक बार उपयोग की हुई हैं ! चुन्नी भैया ने बिना मन के रख ली |
अब शंकर ने पूछा : अच्छा चुन्नी भैया गेहूं है क्या??
चुन्नी लालजी मुह बना के बोले : गेहूं तो हैं पर एक बार उपयोग किये हुए है !
शंकार भाई : अच्छा वो चिलम दे दीजिये | कहकर चिल्मो का भुगतान कर दिया | इसे कहते हैं आँखों आँखों में समझाना |
bahut sahi samjhaya chunnilal ji ne
ReplyDeleteभाई आपका अंदाज़ पसंद आया ... बात समझाने का .........
ReplyDeleteआपने बड़े ही सुंदर लिखा है बंगला में ! बहुत अच्छा लगा! माफ़ी चाहती हूँ आपके ब्लॉग पर आने में देर हुई! बहुत बढ़िया लिखा है आपने! खूब भालो लेगेछे! लिखते थाकुन र आमी पोरे आनोंदो पाबो!
ReplyDeletehumm..
ReplyDeleteMurari Lal mera matlab hai Chunni Lal ne theek kiya...haan nahi to..
अरे दो घंटे पहले आया था तो टिपण्णी नही हो पा रही थी, लेकिन अच्छा समझाया,धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत उम्दा दृष्टांत मुरारी भाई। क्या कहना!
ReplyDeleteचुन्नी लाल जी तो बिल्कुल अपने ताऊ की तरह निकले:)
ReplyDeletehaan ji aankhon hi aankhon me ishjaara..
ReplyDeletebahut sunder...
लगता है चुन्नी लालजी बीरबल के वंशजों मे से एक हैं भाई! हाजिर जवाब.
ReplyDeleteसमझ गया, आने में देरी की क्षमा याचना.
ReplyDeleteबधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
dimag ke band kiwad aese hi samajhdari se kholne padte hai ,ye shikh har waqt saath rahegi .amulya gyaan jo jeevan ki jaroort bhi hai .
ReplyDeleteबहुत मजेदार है
ReplyDeletemain phir se aapke ke blog par aai hoon diwali ki dhero badhaiyaan dene .happy diwali.
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