Tuesday, May 5, 2009

"महाराज चिरक देवजी "

राजस्थान जिस्यो फुटरो नाम बिस्यो ही फुटरो ठाँव पण देवी देवतां गी लम्बी कतार जै कंप्यूटर मैं भी नाम लिखाण बैठां तो नावड़ं कोनी!

कोई शुभ काम होवंतो होवे तो सगळ देवी देवतां ने याद करना जरूरी हैं! जे एक ही भूली चुकी मैं कोई देवता छुट्ग्यो तो बो किन्न्गेई मुंडे बोलतो देर कोनी लगावे!और देवी देवता इता हैं क कम्पुटर में भी लिखन बैठ ज्यावां तो नावाड़ें कोनी, और नित नया देवता आवण लगरया हैं! एक इस्ये ही देवतागी मैंने याद आ री है "महाराज चिरक देवजी "तो हुयो इयान की मेघवालनी आपगे टाबर ने गोदी मैं लेगे ब्राह्मणा ग गाँव गई! अब टाबर गो पेट खराब हो जियां ही मेघवालनी मिन्दर क आगें गई टाबर चिरक दियो, शुद्ध भासा मैं कवुं तो टट्टी बैठ दियो! इतेने मेघवालनी देख्यो मिन्दर मिया पंडितजी चढावे गा पिस्सा गिनता ही आ रयाँ हैं! मेघवालनी सोच्यो हे भगवान् अब के होसी एक तो जातगी मेघवाल दुसरो टाबर टट्टी बैठ दियो और बोई मिन्दर ग आगें! एतो सेई मेधा रलग्या, जे हुवे तो कोई बुद्धि लगा, अब माथे गा लोटिया चस्या! जोरस्युं टिली मारी :- हे महाराज थारी जय हो ! जय हो चिरक देवजी महाराज की जय हो ! पंडितजी देख्यो ओ के सांग है! पंडितजी हौले हौले कने गया, बोल्या कुन है बाई !! मेघवालनी भोड हला हला बोली:- परगटग्या परगटग्या चिरक देवजी परगटग्या!!! आंगळी स्यूं चिरको दिखावंती बोली बो देखो रात ही सपनो आयो क इं गाँव मैं कलियुग को अवतार चिरक देव परगट होसी और बो मने दिखसी! प्रभु इच्छा स्यूं मैं आई और दिख्ग्यो मैं धन्य होगी !! पंडितजी गो इतो सुणनो हो की दंडवत करण लागग्या और गाँव मैं ढ़ीन्ढ़ोरो पिट दियो अबं गाँव उमड्यो, लुगायां गीत बढावा गावंती ही आई !

बात दूर दूर ताई पूगी दूर दूर गांवां स्यूं लोग आया, कई पैदल यात्र्याँ का दल आया, अबं लोगाँ सोच्यो क भाई मंदिर बनायो जावे बडो हवन कार्यो जावे, बड़े बड़े साधू महात्मा ने बुलाया गया, बात मीडिया मैं पतों लगी, सगला समाचार चैनल हाळा कैमरा ले ले गे आग्य्गा ,अब लाग्या बीं चिरक की फोटुवाँ लेवन न, कई दिना रो हुने स्यूं कल्डो हुग्यो, पण भाई चिरक देवता तो चिरक देवता ही हैं कल्डो हुवो चाहे कंवलो हो! लोग हाथ लगा लगा सर ग लगाँव, अब टीवी चंनेलाँ पर एक ही समाचार "कलियुग के अवतारी महाराज चिरक देवजी" प्रगत हुए आइये ले चलते है आपको उस जगह जहां ये कलियुगी अवतार श्री महाराज चिरक देवजी प्रगट हुए हैं, सीधे प्रसारण मैं चिरका दिखा रहे हैं , ख्याति पुरे संसार भर मैं फेल गयी, बहुतों की मनो कमाना पूरी हुई, अब चिरक चालीसा , चिरक मंत्र , चिरक स्तुति, चिराकनान्दजी की आरती, वगेरह वगेरह सभी बने, लोग चिरक देव की लहरी , चिरक देव का बेज, चिरक देवजी का मादलिया लगा लगा के घूम रहे हैं,

Sunday, May 3, 2009

मुरारी उल्लू ही है !!!!

नमस्कार,
अपना नाम करने के चक्कर में मैंने अपने ही ऊपर लेख लिख कर टेलेग्राफ पेपर मैं भेजा,और प्रकाशित भी हुआ,पर जिस दिन मेरा लेख प्रकाशित होना था, उसी दिन उल्लू पर भी लेख प्रकाशित हुआ,अब क्या बताऊँ की क्या हुआ, मेरे नाम की जगह उल्लू का और उल्लू के नाम की जगह मेरा हो गया राम जाने क्या हेर फेर हुई, खैर लेख कुछ इस तरह था!
उल्लू !! ये नाम सुनते ही लोगों के होठों पर हंसी अपने आप ही आ जाती है, ये उल्लू पिछले २५ साल से कॉमेडी करता आ रहा है, देखने मैं बहुत शांत पर इसकी फितरत मैं कॉमेडी कूट कूट के भरी हुई है, बस मुह से बात निकली नहीं की कॉमेडी बन गयी! और भगवान् ने इस उल्लू को गला भी ऐसा बख्शा है की बोलते ही लोगों को हंसी आ जाये, जब भी ये उल्लू कहीं गमगीन माहोल देखता है धीरे से अपनी बात सरका देता है, कई जगह तो ये उल्लू पिटते पिटते बचा, एक बुजुर्ग की मौत पर जहां मातम हो रहा था, उल्लू बोल पड़ा "जब जिन्दा था तो उसको मारने की जल्दी थी अब मर गया तो हाय क्यूँ मर गया अब किसको कोसेंगे " लोग बरस पड़े, पर सबको मालूम था की बेचारा आदत से लाचार है ये उल्लू !!
ये लेख मेरे लिए प्रकाशित हुआ, और दूसरी तरफ उल्लू पर जो लेख लिखा गया वो इस तरह था!
"मुरारी" नाम सुनते ही शारीर मैं कंप कम्पी सी दौड़ जाती है, मुरारी रात को ही निकालता है,लोगों का मानना है की मुरारी बहुत बहुत मुर्ख होता है इसीलिए ये कहावत बन गई की मैंने तुम्हे मुरारी बना दिया, या तुम तो बिलकुल ही मुरारी हो, मुरारी का पठ्ठा,लेकिन धर्म ये मुताबिक ये लक्ष्मी की सवारी भी है लक्ष्मीजी की फोटो के नीचे बैठा मिलेगा मुरारी ! मुरारी की बड़ी बड़ी आँखें बहुत डरावनी होती हैं, आंखें जीतनी डरावनी है चेहरा भी चकोर और भयानक है, और आवाज तो इतनी भयानक है की सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते है,

तांत्रिक क्रिया मैं मुरारी की अहम् भूमिका बताते है, कहते हैं मुरारी की खोपडी मैं काजल बना के लगाया जाये तो सम्मोहन दृष्टि प्राप्त होती है, और मुरारी की हड्डियों की राख़ का सुरमा आँखों मैं लगाया जाये तो भुत भविष्य सब दिखाई देते हैं, इसीलिए तंत्र क्रिया करने वाले इनके जान के पीछे पड़े रहते हैं,
अब ये लेख छपने के बाद लोग बन्दूक ले कर मेरे पीछे पड़ गए हैं,कईयों ने तो घरवालों को अडवांस पैसे दे दिए की मरने के बाद खोपडी और हड्डी हमें दीजियेगा.दुसरे दिन उसी समाचार पत्र मैं माफीनामा भी प्रकाशित हुआ, कुछ इस तरह.कल जो दो लेख हमने प्रकाशित किये थे उल्लू के ऊपर और मुरारी के ऊपर दरअसल जो मुरारी था वो उल्लू था, और जो उल्लू था वो मुरारी था, अब लोगों की समझ मैं आगया की मुरारी उल्लू ही है !!!!

Saturday, May 2, 2009

आदमी को पूंछ


कितनी इसके काम आयेगी, एकदम इसको जाच जायेगी!!
मेरी बात को मानले भगवन,
आदमी को पूंछ दे दे,बदले मैं चाहे मूंछ लेले !!

गधे की दे दे लोमड़ की दे दे, कुते दे दे बिल्ली की दे दे!!
मेड इन कलकाता की दे दे नही तो चल दिली की दे दे !!

दफ्तर मैं इसे हिला हिला के, अपने बोस को खुश कर लेंगे !!

गुस्से मैं बाबु जब होंगे , अन्दर इसको पुस कर लेंगे !!

बातों से जो बात न बने ,उसका हल ये पूंछ दे दे !!

मेरी बात को ......................

भांति भांति के पूंछ वाले हो जायेंगे यहाँ आबाद,

जातिवाद फैला पहले से फिर फेलेगा पूंछ वाद !!

राजनीती को नया मशाला नै दिशा और उंच दे दे !!

मेरी बात को ..................

जगह जगह पर नरसंहार मानव बना पशु का अवतार !!

मानवता कहीं नजर न आए ,जानवर सा करे बर्ताव !!

कम से कम इस मानव को तू, जानवर का लेबलदे दे !!

मेरी बात को मानले भगवन आदमी को पूंछ दे दे !!!!!!

दहीरो कुल्हड़ियो





गुरूजी पढॉवता गांव में रोटड़ी आंवती ठांवम!!
बिन्या चोपड़ी लुखी पाखी, गुरूजी कौर तोड़र चाखी !!
जग्याँ जग्याँ स्यूं ल्यायो है बळैड़ी,सागे मेधाबरी किंकर रर्ळैड़ी !!
टीँगरो बेसुरी हैं थारी मावां अबं बापरो सीर खांवा !!
अबकाळे भुरियो कियां आवे,हाथ मैं दहिरो कुल्हड़ियो ल्यावे !!
हौळे हौळे रोट्ड़ीरी कौर खादी,भुरियो बोल्यो गुरूजी दहीरो कुल्हड़ियो दिरायो है दादी !!
अरे भूरिया दादी कियां टूठ्गी, गुरूजी दही ने गन्डकड़ी उन्ठ्गी!!
बळी बळज्याणी दादिरी सुर ही जकी रोट्ड़ी और लीनी चूर !!
अरे जिनावर तने तो ठा हो, हाँ गुरूजी म्हारे घरे गंडकॉ गो ऐंठेड़ो कुण खा हो !!
सुणता हीं गुरूजी को कोवो छुट्ग्यो कुल्हड़ियो फेंक्यो फेंकता ही फूटग्यो!!
बळी बलज्याणी राफां जुतसी, रोंवतो ही बोल्यो भुरियो अबं दादी रातने क्यामे मुतसी!!