Sunday, May 3, 2009

मुरारी उल्लू ही है !!!!

नमस्कार,
अपना नाम करने के चक्कर में मैंने अपने ही ऊपर लेख लिख कर टेलेग्राफ पेपर मैं भेजा,और प्रकाशित भी हुआ,पर जिस दिन मेरा लेख प्रकाशित होना था, उसी दिन उल्लू पर भी लेख प्रकाशित हुआ,अब क्या बताऊँ की क्या हुआ, मेरे नाम की जगह उल्लू का और उल्लू के नाम की जगह मेरा हो गया राम जाने क्या हेर फेर हुई, खैर लेख कुछ इस तरह था!
उल्लू !! ये नाम सुनते ही लोगों के होठों पर हंसी अपने आप ही आ जाती है, ये उल्लू पिछले २५ साल से कॉमेडी करता आ रहा है, देखने मैं बहुत शांत पर इसकी फितरत मैं कॉमेडी कूट कूट के भरी हुई है, बस मुह से बात निकली नहीं की कॉमेडी बन गयी! और भगवान् ने इस उल्लू को गला भी ऐसा बख्शा है की बोलते ही लोगों को हंसी आ जाये, जब भी ये उल्लू कहीं गमगीन माहोल देखता है धीरे से अपनी बात सरका देता है, कई जगह तो ये उल्लू पिटते पिटते बचा, एक बुजुर्ग की मौत पर जहां मातम हो रहा था, उल्लू बोल पड़ा "जब जिन्दा था तो उसको मारने की जल्दी थी अब मर गया तो हाय क्यूँ मर गया अब किसको कोसेंगे " लोग बरस पड़े, पर सबको मालूम था की बेचारा आदत से लाचार है ये उल्लू !!
ये लेख मेरे लिए प्रकाशित हुआ, और दूसरी तरफ उल्लू पर जो लेख लिखा गया वो इस तरह था!
"मुरारी" नाम सुनते ही शारीर मैं कंप कम्पी सी दौड़ जाती है, मुरारी रात को ही निकालता है,लोगों का मानना है की मुरारी बहुत बहुत मुर्ख होता है इसीलिए ये कहावत बन गई की मैंने तुम्हे मुरारी बना दिया, या तुम तो बिलकुल ही मुरारी हो, मुरारी का पठ्ठा,लेकिन धर्म ये मुताबिक ये लक्ष्मी की सवारी भी है लक्ष्मीजी की फोटो के नीचे बैठा मिलेगा मुरारी ! मुरारी की बड़ी बड़ी आँखें बहुत डरावनी होती हैं, आंखें जीतनी डरावनी है चेहरा भी चकोर और भयानक है, और आवाज तो इतनी भयानक है की सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते है,

तांत्रिक क्रिया मैं मुरारी की अहम् भूमिका बताते है, कहते हैं मुरारी की खोपडी मैं काजल बना के लगाया जाये तो सम्मोहन दृष्टि प्राप्त होती है, और मुरारी की हड्डियों की राख़ का सुरमा आँखों मैं लगाया जाये तो भुत भविष्य सब दिखाई देते हैं, इसीलिए तंत्र क्रिया करने वाले इनके जान के पीछे पड़े रहते हैं,
अब ये लेख छपने के बाद लोग बन्दूक ले कर मेरे पीछे पड़ गए हैं,कईयों ने तो घरवालों को अडवांस पैसे दे दिए की मरने के बाद खोपडी और हड्डी हमें दीजियेगा.दुसरे दिन उसी समाचार पत्र मैं माफीनामा भी प्रकाशित हुआ, कुछ इस तरह.कल जो दो लेख हमने प्रकाशित किये थे उल्लू के ऊपर और मुरारी के ऊपर दरअसल जो मुरारी था वो उल्लू था, और जो उल्लू था वो मुरारी था, अब लोगों की समझ मैं आगया की मुरारी उल्लू ही है !!!!

1 comment:

  1. :-) यह चिट्ठी पढ़ कर भी हंसी आ गयी।
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