Saturday, May 2, 2009

आदमी को पूंछ


कितनी इसके काम आयेगी, एकदम इसको जाच जायेगी!!
मेरी बात को मानले भगवन,
आदमी को पूंछ दे दे,बदले मैं चाहे मूंछ लेले !!

गधे की दे दे लोमड़ की दे दे, कुते दे दे बिल्ली की दे दे!!
मेड इन कलकाता की दे दे नही तो चल दिली की दे दे !!

दफ्तर मैं इसे हिला हिला के, अपने बोस को खुश कर लेंगे !!

गुस्से मैं बाबु जब होंगे , अन्दर इसको पुस कर लेंगे !!

बातों से जो बात न बने ,उसका हल ये पूंछ दे दे !!

मेरी बात को ......................

भांति भांति के पूंछ वाले हो जायेंगे यहाँ आबाद,

जातिवाद फैला पहले से फिर फेलेगा पूंछ वाद !!

राजनीती को नया मशाला नै दिशा और उंच दे दे !!

मेरी बात को ..................

जगह जगह पर नरसंहार मानव बना पशु का अवतार !!

मानवता कहीं नजर न आए ,जानवर सा करे बर्ताव !!

कम से कम इस मानव को तू, जानवर का लेबलदे दे !!

मेरी बात को मानले भगवन आदमी को पूंछ दे दे !!!!!!

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