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मैंने एक व्यंग पहले भी कसा था पर वो राजस्थानी भाषा मैं होने के कारण सभी की समझ मैं नहीं आया इसीलिए हिंदी रूपांतरण पेश कर रहा हूँ| हमारे हिन्दू धर्म मैं कितने देवी देवता हैं कोई बता सकता है?? हाँ बता सकता है 33,000,000 || न इससे कम न इससे ज्यादा | अब ज़रा कोई भाई इनके नाम भी गिना दे तो बड़ी मेहरबानी होगी!! प्रचलित देवी देवताओं को डिपार्टमेन्ट वाइज सबको विभक्त किया गया है, मौसम विभाग के देवी देवता अलग हैं, ज्ञान ध्यान के अलग हैं, धन दौलत के अलग और, वीर शौर्य के अलग, सबकी अपनी अपनी टीम है, अपनी अपनी महिमा है, खैर अब जिन देवी देवताओं को हम नहीं जानते उनमे से एक का किस्सा मैं आपको बतलाने जा रहा हूँ||गांवों मैं आज भी ब्राह्मणों का दबदबा है, पंडितजी ने बोल दिया तो बस लोहे की लकीर है, पंडित जी बोल दिया की आज तिथि साठ्युं (६०) है तो कोई माई का लाल नहीं की उन्सठ्युं (५९) कर सके ||तो उसी ब्राह्मणों के मोहल्ले मैं एक गरीब हरिजन प्रजाति(प्रजाति कहने का तात्पर्य यहाँ ये है की उन्हें पशु सामान समझा जाना ) की महिला अपने शिशु को गोद लिए गयी | और बच्चे को अतिसार की शिकायत थी |जैसे ही वो मंदिर के नजदीक से गुजरी की शिशु ने चिर्क दिया (राजस्थानी भासा मैं चिर्क का मतलब दस्त, जो छोटा बच्चा करता है, बडो पर ये लागु नहीं होता बडो के दस्त को तो तल्डा कहते हैं )| अब जैसे ही बच्चे ने चिरका तो बेचारी दरिद्र महिला का मन भय से कांपने लगा || काटो तो खून नहीं, एक तो चिरका दुसरा ब्राह्मणों का मोहल्ला और उस पर भी गाज गिरी तो मंदिर के सामने, कुछ समझत आती की उससे पहले ही पंडितजी मंदिर से बाहर निकले , अब जैसे ही पंडित जी को देखा बेचारी दरिद्रा के पैर काम्पने लगे और जमीन पर बैठती हुई अपने सर को झुमाने लगी !! पंडित जी ने नजारा देखा पर उनकी समझ से परे था | पंडित जी ने पूछा : कोन है ? हरिजन महिला झूमते हुए बोली : धन्य हो! धन्य हो! महाराज !आपके गाँव पर और आपके ऊपर परमात्मा की अनुकम्पा हुई है ?? पंडितजी आश्चर्यचकित थे जैसा भी टूटा फुटा दिमाग चला सकते थे चलाया और निस्कर्स यही निकाला की हो न हो इस औरत मैं किसी देवता का शाया है अपने दोनों कर जोड़ कर विनीत भाव से नतमस्तक होते हुए गद गद गले से बोले : हे माते !! मुझे पूरी बात बताएं?| महिला ने सर झुमाना जरी रखते हुए बोली: हे भले ब्राह्मण भगवान् की तुम पर अति कृपा है ! परमात्मा का कल्कि अवतार तुम्हारे गांव मैं हुआ है !! पंडितजी विस्मय थे रुंधे गले से बोल नहीं निकल पा रहे थे | प्रेमाश्रुओं की झड़ी जैसे चेरा पूंजी मैं सावन आगया हो |महिला ने अपनी अंगुली से चिरका दिखाते हुए पंडितजी को कहा: ये देखो भगवान् का कल्कि अवतार "चिरक देव जी" || महिला ने कहना जरी रखा: अमृत्बेला के स्वप्न मैं प्रभु ने दरश दिए और श्री वचन उच्चारण किये बोले हे गंगली उठो और प्रभु कार्य मैं अपनी भूमिका निभाओ जाओ और गांववालों को बताओ की मेरा कल्कि अवतार ब्राह्मणों के मोहल्ले मैं मंदिर के सामने होगा || और सबके दुःख दर्द मिटाने मैं "चिरक देव" के नाम से जाना जाउंगा | अब इतना सुनना था की पंडितजी दंडवत करते हुए जोर से टिल्ली मारी : चिरक देवजी की जय"| अब क्या था आग की तरह बात गांव भर मैं फैल गयी श्रधालुओं की भीड़ लग गयी | पुरे गांव के लोगों ने चिरक देवजी की आरती की | हाथों हाथ चिरक चालीसा चिरक स्तुति बन गयी वो तो गाँव मैं लोग ब्लॉग के बारे मैं नहीं जानते थे वरना चिर्क्देव.ब्लागस्पाट .कॉम बनते देर कहाँ लगाने वाली थी | अब बात अगर यहीं समाप्त हो जाती तो कोई बात नहीं थी !! पर चिरक देव जी का चर्चा और पर्चा दूर दूर तक फेलने लगा | लोग दूर दूर से आने लगे अब khyaati इतनी फैल गयी तो बाबा लोगों ने एक बड़ा हवन करने की योजना बनाई गयी ! पुरे देश भर में पर्चे बंटवाये गए, बड़ी बड़ी कंपनियों को स्टाल लगाने के लिए कहा गया, और चिरक कथा, चिरक चालीसा, का कई भाषाओँ मैं रूपांतरण किया गया, और स्टाल लगा दिया गया| चिरक ताबीज,चिरक लहरी, चिरक झंडे, लगा के लोग गुणगान करते नहीं थकते, भव्य मंदिर बनाया गया,| अब बारी थी मीडिया की सभी चैनल वाले अपना केमेरा ले कर पहुँच गए : नमस्कार फलाने गांव मैं हुआ चिरक देवजी का अवतार ये देखिये ये हैं चिरक देवजी, अपना कलियुगी रूप लिए हुए करोडो भगतों का उद्धार करने आये हैं!! वगेरह वगेरह !! अब और क्या बताओं चिरक देवजी के मंदिर जा कर खुद ही दरसन करके आइये || ओम उदर्श्च निवाशय: chirkaay: नम:!!
आज भी तो ऎसा ही होता है, नये से नये देवता पेदा हो रहे है, गुरुऒ की भीड लगी है, ओर जनता सब मान रही है,
ReplyDeleteआप ने बहुत सुंदर लिखा,
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
Apnee hee kehne aayee hun..naa karen "pitajee kaa anusaran"...mere dada ji kaa kar len...!
ReplyDeleteYe comment zabaran de raheen hun!...gar "word verification" hata den,to kaisaa rahega?
ReplyDeleteKyonki ab phir ek baar usee prakriyaa se gazarnaa hoga...
आपने बहुत ही बढ़िया और शानदार लिखा है! इतना अच्छा लगा कि कहने के लिए अल्फाज़ कम पर गए!
ReplyDeletepareek ji,
ReplyDeletebadhai...
bahut hi sunder...
Bahut khub likha hai.
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