किसान आदमी को बहुत सारे काम रहते हैं ऑफ सीज़न में भी | ऐसे ही एक बार हल की रेपैरिंग करने बैठे थे | सोचा आगे खेती की सीज़न आ रही है | हल को थोडा ठीक ठाक कर लिया जाए | तो हल के अन्दर जो लोहे की पत्ती होती उसे निकालने में लगे हैं ! अंगने में लम्बी टांगो को जमीन पर पसार कर बेठे और दोनों हाथों से खिंच कर हल की पत्ती को निकालने का प्रयास करने लगे | कोशिश करते करते अचानक पत्ती निकल गई | सर को पूरी तरह ऊपर झुका रखा था | फलस्वरूप झटके से निकली पत्ती सीधी माथे पर जा लगी और माथे पर खरोंच आ गई, पर ज्यादा चोट नहीं आई|
पर चुन्नी लालजी दहाड़े मार मार कर रोने लगे |लोगों को आश्चर्य हुआ |
वहाँ उपस्थित लोगों ने समझाया : अरे चुन्नी भैया ज्यादा चोट नहीं आई इतना क्यों रो रहे हो?
चुन्नी भैया बोले - इसलिए नहीं रो रहा की चोट लगी है, इसलिए रो रहा हूँ, की अब किस किस को बताउंगा की चोट कैसे लगी ? पूछने वाले पूछ पूछ के मार लेंगे, की हल की पत्ती की चोट आखिर सर पे कैसे लगी ? बार बार कुवे में भी नहीं कूद सकता !!!
बढिया है ......सुन्दर
ReplyDeletekahne ko bahut hi gahari baat kah gayi
ReplyDeleteसुन्दर.
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteबहूत acche......... .......लाजवाब kissa banaaya है
ReplyDeleteवाह पारीक जी आप तो बढ़िया बंगला बोलते हैं और क्यूँ नहीं आप तो सिलिगुरी और दुर्गापुर में रह चुके हैं ! हाँ आपने बिल्कुल सही कहा बंगला अस्सामेसे और ओरिया तीनों मिलता जुलता है! आपका ये पोस्ट बहुत बढ़िया लगा!
ReplyDeleteBhut badhiya.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }