नमस्कार,
अपना नाम करने के चक्कर में मैंने अपने ही ऊपर लेख लिख कर टेलेग्राफ पेपर मैं भेजा,और प्रकाशित भी हुआ,पर जिस दिन मेरा लेख प्रकाशित होना था, उसी दिन उल्लू पर भी लेख प्रकाशित हुआ,अब क्या बताऊँ की क्या हुआ, मेरे नाम की जगह उल्लू का और उल्लू के नाम की जगह मेरा हो गया राम जाने क्या हेर फेर हुई, खैर लेख कुछ इस तरह था!
उल्लू !! ये नाम सुनते ही लोगों के होठों पर हंसी अपने आप ही आ जाती है, ये उल्लू पिछले २५ साल से कॉमेडी करता आ रहा है, देखने मैं बहुत शांत पर इसकी फितरत मैं कॉमेडी कूट कूट के भरी हुई है, बस मुह से बात निकली नहीं की कॉमेडी बन गयी! और भगवान् ने इस उल्लू को गला भी ऐसा बख्शा है की बोलते ही लोगों को हंसी आ जाये, जब भी ये उल्लू कहीं गमगीन माहोल देखता है धीरे से अपनी बात सरका देता है, कई जगह तो ये उल्लू पिटते पिटते बचा, एक बुजुर्ग की मौत पर जहां मातम हो रहा था, उल्लू बोल पड़ा "जब जिन्दा था तो उसको मारने की जल्दी थी अब मर गया तो हाय क्यूँ मर गया अब किसको कोसेंगे " लोग बरस पड़े, पर सबको मालूम था की बेचारा आदत से लाचार है ये उल्लू !!
ये लेख मेरे लिए प्रकाशित हुआ, और दूसरी तरफ उल्लू पर जो लेख लिखा गया वो इस तरह था!
"मुरारी" नाम सुनते ही शारीर मैं कंप कम्पी सी दौड़ जाती है, मुरारी रात को ही निकालता है,लोगों का मानना है की मुरारी बहुत बहुत मुर्ख होता है इसीलिए ये कहावत बन गई की मैंने तुम्हे मुरारी बना दिया, या तुम तो बिलकुल ही मुरारी हो, मुरारी का पठ्ठा,लेकिन धर्म ये मुताबिक ये लक्ष्मी की सवारी भी है लक्ष्मीजी की फोटो के नीचे बैठा मिलेगा मुरारी ! मुरारी की बड़ी बड़ी आँखें बहुत डरावनी होती हैं, आंखें जीतनी डरावनी है चेहरा भी चकोर और भयानक है, और आवाज तो इतनी भयानक है की सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते है,
तांत्रिक क्रिया मैं मुरारी की अहम् भूमिका बताते है, कहते हैं मुरारी की खोपडी मैं काजल बना के लगाया जाये तो सम्मोहन दृष्टि प्राप्त होती है, और मुरारी की हड्डियों की राख़ का सुरमा आँखों मैं लगाया जाये तो भुत भविष्य सब दिखाई देते हैं, इसीलिए तंत्र क्रिया करने वाले इनके जान के पीछे पड़े रहते हैं,
अब ये लेख छपने के बाद लोग बन्दूक ले कर मेरे पीछे पड़ गए हैं,कईयों ने तो घरवालों को अडवांस पैसे दे दिए की मरने के बाद खोपडी और हड्डी हमें दीजियेगा.दुसरे दिन उसी समाचार पत्र मैं माफीनामा भी प्रकाशित हुआ, कुछ इस तरह.कल जो दो लेख हमने प्रकाशित किये थे उल्लू के ऊपर और मुरारी के ऊपर दरअसल जो मुरारी था वो उल्लू था, और जो उल्लू था वो मुरारी था, अब लोगों की समझ मैं आगया की मुरारी उल्लू ही है !!!!
अपना नाम करने के चक्कर में मैंने अपने ही ऊपर लेख लिख कर टेलेग्राफ पेपर मैं भेजा,और प्रकाशित भी हुआ,पर जिस दिन मेरा लेख प्रकाशित होना था, उसी दिन उल्लू पर भी लेख प्रकाशित हुआ,अब क्या बताऊँ की क्या हुआ, मेरे नाम की जगह उल्लू का और उल्लू के नाम की जगह मेरा हो गया राम जाने क्या हेर फेर हुई, खैर लेख कुछ इस तरह था!
उल्लू !! ये नाम सुनते ही लोगों के होठों पर हंसी अपने आप ही आ जाती है, ये उल्लू पिछले २५ साल से कॉमेडी करता आ रहा है, देखने मैं बहुत शांत पर इसकी फितरत मैं कॉमेडी कूट कूट के भरी हुई है, बस मुह से बात निकली नहीं की कॉमेडी बन गयी! और भगवान् ने इस उल्लू को गला भी ऐसा बख्शा है की बोलते ही लोगों को हंसी आ जाये, जब भी ये उल्लू कहीं गमगीन माहोल देखता है धीरे से अपनी बात सरका देता है, कई जगह तो ये उल्लू पिटते पिटते बचा, एक बुजुर्ग की मौत पर जहां मातम हो रहा था, उल्लू बोल पड़ा "जब जिन्दा था तो उसको मारने की जल्दी थी अब मर गया तो हाय क्यूँ मर गया अब किसको कोसेंगे " लोग बरस पड़े, पर सबको मालूम था की बेचारा आदत से लाचार है ये उल्लू !!
ये लेख मेरे लिए प्रकाशित हुआ, और दूसरी तरफ उल्लू पर जो लेख लिखा गया वो इस तरह था!
"मुरारी" नाम सुनते ही शारीर मैं कंप कम्पी सी दौड़ जाती है, मुरारी रात को ही निकालता है,लोगों का मानना है की मुरारी बहुत बहुत मुर्ख होता है इसीलिए ये कहावत बन गई की मैंने तुम्हे मुरारी बना दिया, या तुम तो बिलकुल ही मुरारी हो, मुरारी का पठ्ठा,लेकिन धर्म ये मुताबिक ये लक्ष्मी की सवारी भी है लक्ष्मीजी की फोटो के नीचे बैठा मिलेगा मुरारी ! मुरारी की बड़ी बड़ी आँखें बहुत डरावनी होती हैं, आंखें जीतनी डरावनी है चेहरा भी चकोर और भयानक है, और आवाज तो इतनी भयानक है की सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते है,
तांत्रिक क्रिया मैं मुरारी की अहम् भूमिका बताते है, कहते हैं मुरारी की खोपडी मैं काजल बना के लगाया जाये तो सम्मोहन दृष्टि प्राप्त होती है, और मुरारी की हड्डियों की राख़ का सुरमा आँखों मैं लगाया जाये तो भुत भविष्य सब दिखाई देते हैं, इसीलिए तंत्र क्रिया करने वाले इनके जान के पीछे पड़े रहते हैं,
अब ये लेख छपने के बाद लोग बन्दूक ले कर मेरे पीछे पड़ गए हैं,कईयों ने तो घरवालों को अडवांस पैसे दे दिए की मरने के बाद खोपडी और हड्डी हमें दीजियेगा.दुसरे दिन उसी समाचार पत्र मैं माफीनामा भी प्रकाशित हुआ, कुछ इस तरह.कल जो दो लेख हमने प्रकाशित किये थे उल्लू के ऊपर और मुरारी के ऊपर दरअसल जो मुरारी था वो उल्लू था, और जो उल्लू था वो मुरारी था, अब लोगों की समझ मैं आगया की मुरारी उल्लू ही है !!!!
मैं तो समझा था
ReplyDeleteमुरारी के लिए लिखा है
या उल्लू के लिए लिखा है
जब मेरे लिए लिखा है
तो मेरा नाम क्यों नहीं लिखा है
पर जिसके लिए भी लिखा है
रोचक लिखा है
अच्छा लिखा है।
काफी अच्छा लिखा आपने।
ReplyDeleteसही गड़बड़झाला है
ReplyDeleteतस्सली हुई
ReplyDeleteमै यहा भी हू
अवीनाश जी शुक्रिया
हे कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे!
ReplyDeleteबहुत अच्छा है...टेलीग्राफ़ को धन्यवाद.
ReplyDeleteवाह मुरारी जी बहुत बढ़िया लिखा है आपने! मुझे आपका ये पोस्ट बेहद पसंद आया!
ReplyDeleteतांत्रिक क्रिया मैं मुरारी की अहम् भूमिका बताते है, कहते हैं मुरारी की खोपडी मैं काजल बना के लगाया जाये तो सम्मोहन दृष्टि प्राप्त होती है, और मुरारी की हड्डियों की राख़ का सुरमा आँखों मैं लगाया जाये तो भुत भविष्य सब दिखाई देते हैं, इसीलिए तंत्र क्रिया करने वाले इनके जान के पीछे पड़े रहते हैं।
ReplyDeleteभई ये सब यहाँ नहीं चलेगा। आप एक जिम्मेदार व्यक्ति होकर समाज में अन्धविश्वास फैला रहे हैं। लगता है कि साईंस ब्लाग एसोसेशियन वालों को आपकी कन्पलेन्ट करनी पडेगी:)
Asali baat to ye hai ki aap khud hi ullu banaa rahe hain.
ReplyDeleteh h ha.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
हा हा हा हमे तो पकले ही पता चल गया था बडिया् पोस्ट्
ReplyDeleteवैसे अब भी confusion ही हो रहा है..मुरारी उल्लू था ki उल्लू मुरारी है ..हा हा हा!
ReplyDelete..तंत्र मन्त्र की बातें तो गलती से न करें..यहाँ बराबर
चौकसी हो रही है..:)
... bahut khoob !!!
ReplyDeleteउल्लू तो मेरा पसंदीदा परिंदा है ..मैंने तो धागों से बनाये ...लेकिन मुझे तो असलियत में बनाया गया ...!
ReplyDeleteआपका लिखा पढने में बड़ा मज़ा आता है...जैसा भी 'मूड' हो दिल बहल जाता है...शुक्रिया..!
http://shamasansmaran.blogspot.com
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(fiber art pe ek 'ullu' to dikh hee jayega...!)
Are baba 'ullu'pe bhee approval kyon chahiye?(!!!)
ReplyDeleteभई, इस गड़बड़झाले ने तो मूल लेखों को और भी रोचक बना दिया. आपका यह लेख बहुत सुन्दर और खास कर यह पंक्तियाँ बहुत पसंद आयीं:
ReplyDelete"जब जिन्दा था तो उसको मारने की जल्दी थी अब मर गया तो हाय क्यूँ मर गया अब किसको कोसेंगे " - वाह!
भाई बहुत कनफुसिया गए हैं हम ................ अब क्लेरिफाई तो करो कौन कौन है.........
ReplyDeleteलगता है टेलीग्राफ पेपर में भी कोई मुरारी पारीक बैठा होगा, तभी इतनी खूबसूरत हेरा-फेरी हुई :)
ReplyDeleteजी चलो छोडो भी मुरली भाई का नाम तो हुआ ही है....!बहुत अच्छा लिखा आपने...
ReplyDeleteजो भी हुआ अच्छा ही हुआ. हम नहीं तो पढ़ ही नहीं पाते. मजा आ गया. आभार
ReplyDeleteऔर जितना नाम उल्लू यानी उलूक का हुआ
ReplyDeleteउसकी ओर तो कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है
इस उपेक्षा पर मेनका गांधी जी रुष्ट हो सकती हैं
और पक्षी जो नाराज हो जाएंगे सो अलग।
हमें प्रकृति और पशु पक्षियों से भी असीम प्रेम जाहिर करना चाहिए। यही हमारी संस्कृति है। हम चाहे चूहे और कोकरोचिस से खूब डरते हैं पर उन्हें मारना या नुकसान पहुंचाना कभी नहीं चाहते।
for ur older post:aao chalo bhoot bhoot khelin !!
ReplyDeleteek chutkula yaad ho aaya:
ek bhoot: yaar maine abhi abhi ek insaan dekha hai.
doosra bhoot: abe din main kyun darani wali baat kar raha hai?
teesra: haan waise bhi insaan vinsaan dil ka veham hai aur kuch nahi !!
regarding this post: huzoor jo hota hia acche ke liye hi hota hai par ullu ke saath bura hua(are ye main kya keh gaya)
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