ढंग से रहो पाड़ोसी वरना कर देंगे बेढंगा ||
पता नहीं क्या तुमको कैसे वीर जवान हमारे है|
डाट डाट रक्खा है इनको कबसे हाथ संवारे है ||
सिक्ख गोरखा जाट मराठा आसामी और बंगा | ढंग से रहो .... .|
सोए शेर जवान हमारे क्यूँ इनको जगाते हो |
ओ दुर्बुद्धि ओ नालायक क्यूँ अपनी मौत बुलाते हो||
चीर डालेंगे पल में तुझको मार के अपना पंजा | ढंग से रहो......|
सच कहा, जय भारत
ReplyDelete---
1. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
2. चाँद, बादल और शाम
mat lo humse panga
ReplyDeletekar daalenge nanga
ha ha ha ha ha ha ha ha
badhaai !
ek sundar rachana
ReplyDeleteचीर डालेंगे पल में तुझको......
ReplyDeleteबहुत खूब.
achchhi rachanaa
ReplyDeleteओह, जो सीमा पर एडवाण्टेज पाते हैं, वह मेज पर गंवाते हैं हम!
ReplyDeleteकाश इन पंक्तियों को हमारे नेता चरितार्थ कर पाते.
ReplyDeleteदेखो मेरे देश से मत लो कोई पंगा |
ReplyDeleteढंग से रहो पाड़ोसी वरना कर देंगे बेढंगा ||
वाह...वाह...जवाब नहीं आपका भी ....काफी खींच के चांटा मारा है ....!!
बहुत सुंदर रचना. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
सही कहा आपने! बहुत बढ़िया लगा!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगा!वाह...
ReplyDelete"सताए तो सही कोई, औलाद को मेरी , चीर के न रख दूँ सीने कई ..!"
ReplyDeleteआपकी 'बागवानी ' पे टिप्पणी देखी ...हाँ ..बिल्कुल , पौधे ज़रूर दर्शाते हैं अपना प्यार ...जब ,जब मै बीमार पड़ जाती हूँ , भरी बरसात मे इनके पत्ते पतझड़ की तरह झड़ जाते हैं ..!
पिछले १० दिनों से घरसे दूर हूँ...पता नही मेरे पौधों का क्या हाल होगा??
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बहोत खूब!!!!!!!!!!!!!!वाह!!!सुंदर । ये है ज़वानोंवाली बात।
ReplyDeleteसत्य वचन।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बिल्कुल सही कहा आपने! बहुत ही सुंदर रचना!
ReplyDelete... जबरदस्त व प्रसंशनीय अभिव्यक्ति !!!
ReplyDeleteबिल्कुल दुरूस्त कहा आपने!!!!
ReplyDeleteReally very nice !
ReplyDeleteparik ji shandar rachna hai.....
ReplyDeletemain lout aya hu aapko pareshan karne...
nice
ReplyDeleteआपने तो ठंडे पड़ रहे खून में तो उबाल ही ला दिया.............
ReplyDeleteबीर रस की रचना ने तो हलचल ही मचा दी.
सलाम...................
sach kaha hai ....h aha h aha
ReplyDeletejay hind.