मै बोला : ब्लॉग बुखार??डॉक्टर साहब इस बिमारी के लक्षण क्या है ?
डॉक्टर बोला : देखिये इस बीमार में मरीज नई नई रचना लिखने की सोचता है |
मैने पूछा : तो क्या है नई रचना लिखदे ? डॉक्टर: देखिये सिर्फ रचना लिखने से ही बिमारी से छुटकारा नहीं मिलता , रचना लिखने के बाद टिप्पणी के लिए मरता रहता है, और जीतनी ज्यादा टिप्पणी आती हैं मरीज उतना खुश होता है ,और फिर नई नई रचना लिखने के लिए बेचैन हो उठता है |
मैंने समाधान पूछा : डॉक्टर साहब इस बिमारी से कैसे निपटा जाए ?
डॉक्टर साहब ने बताया : देखिये वैसे तो इस बिमारी का कोई इलाज नहीं है हाँ अगर थोडी रहत महसूस करने के लिए १०-१५ दिन का अवकाश ले कर ब्लॉग जगत से दूर रहना चाहिए |
तो भाई डॉक्टर की सलाह ना माने तो बिमारी विकराल रूप ले लेगी अत:१५ -२० दिन दूर रहने के लिओये राजस्थान जा रहा हूँ | आप सब की याद तो बहुत आएगी पर गाँव में नेट का साधन भी नहीं है | इसलिए याद आकर रह जायेगी |
वापस आ कर देखता हूँ | किस ने क्या कहा | कल सबेरे यानी १०.०८.०९ को निकल जाउंगा गंगटोक से और ११.०८.०९ को न्यू जल्पाइगुरि से पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति में सवार हो कर डेल्ही के रस्ते चल दूंगा | तब तक राम राम ,अलविदा, खुदा हाफिज,
आ गए न डाक्टर के झांसे में ! डाक्टर क्या जाने ब्लाग-बुखार की दवा..पहले पूछ तो लेते कि भले आदमी कभी तूने ब्लाग लिखा है जो इसे मर्ज़ बता दिया...
ReplyDeleteबुखार बना रहे, दुआ है :-)
ReplyDeleteमजे से छुटृटी बिताएं .. इंतजार रहेगा आपका !!
ReplyDeleteभाई ये ब्लॉग बुखार तो स्वाइन फीवर से अधिक खतरनाक है .....
ReplyDeleteराम राम!! घूम आईये.
ReplyDeleteकैमरा साथ में रखें। और कापी कलम न हो तो ऑडियो रिकार्ड कर विचार रख ली जियेगा। काम आयेंगे।
ReplyDeleteyatra ke liye bahut shubkamnaye,phir yatra vrutant bata digiyega.
ReplyDeleteबात तो बिलकुल सही कही है. अब इसका इलाज़ भी सुनलो. गीता की बात मान लो. यानि कर्म करे जाओ और फल की इच्छा मत करो. फल तो अपने आप मिल जायेगा.
ReplyDeleteइस बीमारी का लक्षण यही है कि दस बारह दिन बाद जब वापस ब्लाग जगत में लौटता है तो बीमार कम्प्यूटर से एकदम चिपक जाता है।
ReplyDeleteMaan gaye Sir ji..........aap ka jawaab nahi........
ReplyDeleteये बीमारी लाईलाज है भाई,इसकी दवा किसी हकीम/डाक्टर के पास नहीं मिलने वाली:)
ReplyDeleteघूमिए फिरिये,अनन्द लीजिए ओर लगे हाथ कुछेक पोस्टों का भी जुगाड करते रहिए:)
अब तो चरों तरफ़ स्विने फ्लू बीमारी इतनी तेजी से फ़ैल रहा है पर आपकी ये बीमारी तो उससे भी ज़्यादा खतरनाक लग रहा है! कमाल कर दिया आपने! जवाब नहीं आपका मुरारी जी!
ReplyDeleteब्लॉग बुखार तो मुझे भी है पर छुट्टी नहीं मिल रही है
ReplyDeleteACHAA HAI YE SWINE FLU NAHI HAI......NAHI TO FAIL JAATA TEJI SE...... AAPKO CHUTTIYAAN MUBAARAK...
ReplyDeleteबीमारी लाईलाज है,मुझे भी ब्लॉग बुखार है...
ReplyDeleteसभी दिग्गज टिप्पणी कारों से सहमत हूँ ...!व्यंग है ,पर ज़िंदा दिलीके कारण , कहीँ कड़वाहट नही ॥! ये कमाल है !
ReplyDeleteआपकी टिपण्णी के लिए शुक्रिया! मेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है -
ReplyDeletehttp://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
काफी दिन हो गए आपने कोई नया पोस्ट नहीं किया! आपके नए पोस्ट का इंतज़ार है!