वाह भाई मुरारी जी! थारी आवाज म्हे तो पहली बार सुणी रेड़ियो पे। थारी आवाज मै सौ को दम, न हजार को दम, यार जि्तणी मर्जी हो उतणा ही जी्रो लगा ल्यो, उतणो ही दम है। समीर भाई और म्हारी कविताई थारा मुंह सुं सुण कै मजो आ ग्यो, थाने घणी-घणी बधाई। राम राम
अगर हंसने पर कोई टेक्स नहीं है | तो फिर क्यूं होठों को भींच रखा है, जाने दो अपने होठों को कानो तक फिक्र मत कीजिये हंसने से होठ नहीं फटते, बल्कि फटे दिल सिल जाते हैं, अगर मेरी रचना से आपको ज़रा सी भी हंसी आ जाए तो मेरा सौभाग्य!!
आनन्द आया खुद की रचनाएँ आपकी आवाज और ललित भाई की धांसू रचनाएँ...सुन्दर गीत और उस पर युवा दिलों की धड़कन डॉ कुमार विश्वास की पंक्तियाँ सुनकर...
ReplyDeleteबहुत आभार.
वाह, मज़ा आ गया। आपको, समीर भाई को और ललित जी को ढेरों बधाईयाँ।
ReplyDeleteसमीर भाई को और ललित जी को ढेरों बधाईयाँ....
ReplyDeleteभई हमें तो आपका ये टेपरिकार्डर सा ही नहीं दिख रहा....सुने कैसे ?
ReplyDeleteबहुत बढिया रहा .. आपको , समीर जी को और ललित जी को शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteवाह मजा आ गया .समीर जी और ललित जी को बधाई.
ReplyDeleteवाह, मज़ा आ गया।
ReplyDeleteवाह आपकी प्रस्तुति और आपकी आवाज का सुरीलापन . कवियों पर तो टिप्पणी करने के क्षमता नहीं :) बेमिसाल हैं
ReplyDeleteवाह भाई मुरारी जी! थारी आवाज म्हे तो पहली बार सुणी रेड़ियो पे। थारी आवाज मै सौ को दम, न हजार को दम, यार जि्तणी मर्जी हो उतणा ही जी्रो लगा ल्यो, उतणो ही दम है। समीर भाई और म्हारी कविताई थारा मुंह सुं सुण कै मजो आ ग्यो, थाने घणी-घणी बधाई। राम राम
ReplyDeleteसमीरलाल जी और ललित शर्मा जी को बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteललित सरमा जी शाब आपका आवाज़ शुन के मज़ा आ गया और मुरारी जी की आवाज़ में बैकग्राउंड का मूसिक भी बहुत अस्छा है । शमीर लाल जी का कविता भूत अस्चा है ।
ReplyDeleteअति सुन्दर प्रस्तुति !!!
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