Saturday, July 4, 2009

पैदाइशी सुन्दरता

अपने मुह से अपनी तारीफ़ नहीं किया करते, पर क्या क्या करूँ वाकिया ही ऐसा घटित हुआ, की अगर अपनी महिमा न बताऊँ तो बात अधूरी रहेगी !! पैदाइशी सुन्दरता के कारण मुझे घर से सख्त आदेश थे की बिना बुर्का या मुह ढके घर से बाहर न निकलूं !! पुरे गली मोहल्ले के लोग एक झलक पाने को बेताब रहते थे !! पर चेहरा देखना तो जैसे दुर्लभ दर्शन थे | गाँव मैं किसी को भी मेरी सूरत का अंदाज आज तक नहीं है!! बुर्का हटाने का खामियाजा मुझे तब उठाना पडा जब मैं चिडिया घर देखने गया!! मैं गुवाहाटी के चिडिया घर मैं पहुंचा तो वहाँ तरह तरह के जीव जंतु देश और विदेश से लाये गए दुर्लभ और सुलभ सभी प्राणी थे!! बहुत सारे लोग हुक्कू मंकी का आनंन्द ले रहे थे, लोग हुक हुक करते बन्दर भी वापिस जोर से हुक हुक करके हुकलाता!! अच्छी भीड़ थी!! मैं घूमता घूमता एक जगह पहुंचा जहां पर शीशे के भीतर कुछ था!! मैंने बुर्का उतार लिया !! शीशे के अन्दर झांका देखा एक ख़ास किस्म का बन्दर जिसने कपडे पहन रखे थे !! मैंने उसको हाथ दिखाया ! उसने भी मुझे हाथ दिखा कर उतर दिया! मैं मुस्कुराया !! मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब जवाब मैं वो भी मुस्कुराया !! अब तो मैं उसके साथ आनंद लेने लगा !! मैं जैसे अपनी मुद्रा करते वो हाथो हाथ वैसे ही reply करता !! सच मैं बन्दर बड़े नकलची होते हैं, मैं मन ही मन सोच रहा था !! मैं अपने काम मैं मशगुल था ! ध्यान पीछे गया देखा जो भीड़ हुक्कू मंकी के पास थी अब वो शीशे वाले बन्दर के पास इक्कठी थी!! मैंने उनकी परवाह किये बिना उस बन्दर के साथ लगा रहा !!लोगों का जमावडा हमारी हरक़तों का आनंद उठा रहा था !! तभी देखा main गेट की तरफ से बहुत सारे लोग हाथों मैं केमरे लिए हमारी तरफ आ रहे थे !! मुझे समझते देर ना लगी की ये हमारी हरकतों को टी वी पर प्रसारित करने वाले हैं !! एक केमरा धारी मेरे नजदीक आया !! मैंने थोडी जगह छोड़ी !! वो बोला नहीं नहीं ठीक है ! केमरा मुझे शूट किये जा रहा था ! और ताबड़ तोड़ फ्लेश लाइटें मेरे चेहरे पे !! मैं समझ नहीं पा रहा था आखिर क्या माजरा है! मुझे लगा मैंने इस बन्दर को छेड़ के अच्छा नहीं किया !! मन ही मन अपने आपको कौसते हुए कहा रहा था तुझे क्या पड़ी थी मुरारी इस बन्दर को छेड़ने की पता नहीं अब क्या होगा!! एक पत्रकार ने मुझसे सवाल किया : सर आपसे एक बात पूछें ?? मैं बोला: एक क्यूँ बहुत सारी पूछिये !! पत्रकार महोदय धन्यवाद देते हुए बोले:: आप कब से ऐसे हैं?? मेरे दिमाग की घंटियाँ घनघना उठी मुझे यकायक ध्यान आया की मैंने बुर्का हटा दिया है | सारा माजरा समझ मैं आ गया की हो न हो मेरी सुन्दरता का जलवा बिखर गया है !! मैं कुछ सरमाते हुए बोला: जी बचपन से ही हूँ !! बुर्का लगाके रहता हूँ पर आज बुर्का भूल से खोल दिया !! पत्रकार महोदय मेरे और करीब आकर मुझसे हाथ मिलाते हुए बोले : ये तो भगवान् का दिया रूप है छुपाना क्या !! मैं बोला: वो तो ठीक है अब घर मैं कौन समझाए !! माँ को लगता है किसी की नजर लग जायेगी !! एक दुसरे सज्जन पास आये बोले शाम को "आजतक" चेनल देखिएगा आपका फोटो आयेगा!! जैसे तैसे वहाँ से निकला, निकलने से पहले बुर्का लगाना नहीं भुला !! घर पहुंचा आजतक चेनल खोल के बैठ गया!! अचानक देखा गुवाहाटी का चिडियाघर दिखा रहे थे !! एक रिपोर्टर चिल्ला चिल्ला के बोल रहा था: नमस्कार ये नजारा है गुवाहाटी के चिडियाघर का घर का यहाँ आज एक अजीब किस्म का बन्दर देखा गया !! मैं समझ गया की उशी शीशे वाले बन्दर की बात की जा रही है मैं उत्सुकतावश देखता गया की अभी मेरी भी फोटो दिखेगी!! पर देखा मैं कहीं नहीं था बस एक बन्दर था जो शीशे मैं देखकर अजीब अजीब हरकतें कर रहा था !! अचानक उस बन्दर के पास एक आदमी आया उससे वही बातें पूछ रहा था जो उसने मुझसे पूछी थी !! मैं मन ही मन सोच रहा था की कैसा कंप्यूटर का ज़माना आगया क्या मिक्सिंग की है, मुझे हटा कर बन्दर को लगा दिया!! पर जब उस बन्दर ने अपने चेहरे पर बुर्का लगाया तो मुझे बड़ा अजीब लगा !! मैं बाथरूम के शीशे की तरफ बढा|
घर की तरफ से शीशा देखना मुझे सख्त मना था!! पर आज तो देख के ही रहूंगा !! बाथरूम के अन्दर घुसा शीशे के ऊपर से कपडा उठाया और शीशे मैं झांका वही बन्दर जो चिडिया घर मैं देखा था शीशे अन्दर से झांक रहा था !! अब सारी वारदात समझ मैं आगई !! अपनी सूरत को अब कैसे दिखाऊं किसी को, बुर्का लगाया !! माँ के पास आया !! और माँ से बोला : माँ मुझे अपनी असली सूरत का पता चल चुका है !! पर मैं इतना बदसूरत क्यूँ हूँ!! माँ बताने लगी: बेटा हमने तुम्हे पाने के लिए शंकर भगवान् की बड़ी तपस्या की !! एक दिन जब भगवान् प्रगट हुए तो हमने संतान की मांग की !! शंकर भगवान् बोले: अभी कोई संतान स्टॉक मैं नहीं है! पर मैं जिद करती रही !! और भगवान् को भक्तों की जिद के आगे झुकना पङता है!! शंकर भगवान् ने उछल कर पेड़ से एक बन्दर पकडा और पूछ काट के पकडा दिया बोले: ये लो !! अब सारी बात समझ मैं आगई की क्यूँ मैं बंदरों की सी हरकतें करता हूँ !!

7 comments:

  1. pareek ji....
    log doosro par to bahut haste hai...
    par khud par vyang karkar doosro ko
    hasana aapki mahanta darshata hai...

    main aapka barmbar abhinandan karta hun....

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  2. वाह क्या बात है, बहुत सुंदर ढंग से आप ने अपने को बंदर कह कर सब को हंसने पर मजबुर कर दिया, इसे कहते है सच्चा मजाक.
    धन्यवाद

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  3. Murari ji mein apni hansi rok hi nahin paayi aapka ye post padhke!!!! Mera peth dukh raha hai ab......mazaa aaya paidayshi sundarta ke baare mein jaanke...ha ha!

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  4. वाह वाह क्या बात है! मुरारी जी आपने तो कमाल कर दिया! इतना मज़ेदार लगा कि क्या बताऊँ! मेरी हँसी तो रुक ही नही रही है! ये बड़ा कठिन काम किया है आपने जो ख़ुद पर व्यंग करके सबको हँसाया! मान गए आपको!

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  5. दूसरों पर हंसना तो बहुत आसान है,लेकिन जो खुद पर हंसने का माद्दा रखता हो तो समझिए वही सच्चा इन्सान है.......एक सुन्दर हास्य रचना के लिए धन्यवाद..

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  6. ... बहुत खूब, प्रसंशनीय !!!!!!

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  7. बेहतरीन!! यही सही तरीका है खुद पर निशाना साधना!

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आपके लिए ही लिखा है आप ने टिपण्णी की धन्यवाद !!!