Tuesday, September 1, 2009

झगड़े लफड़े !!

गांव में कमला और धापली बहुत झगडालू औरतें हैं | एक बार दोनों आपस में ही भीड़ गयी | अब दो झगडालू औरतें आपस में झगडें तो झगडा सच मुच दर्शनीय होगा | लच्छेदार गलियों का प्रयोग झगड़े में चार चाँद लगा रहे थे |
कमला : तू तो बड़ी कमीनी है, अच्छी तरह जानती हूँ तू क्या क्या गुल खिलाती है खेत में |
धापली : तेरे जैसी कमीनी भी नहीं हूँ, पड़ोस में छाछ लेने के बहाने जा कर क्या क्या नैन मटक्का करती है मुझे सब पता है |
कमला: तेरे तो पुरे खान दान की की कहानी मुझे पता है|
धापली:और तेरे खानदान की कहानी ?जैसे मुझे पता नहीं है !
कमला : अरे तेरी दादी तो तेरे दादे को छोड़ के भाग गयी थी |
धापली: रहने दे मेरा मुह मत खुलवा ! तेरी बुआ जो धोबी के साथ भाग गयी थी ? खानदानी इश्कबाज रहे हो तुम लोग |
कमला : अरी कलमुही तेरे को तो मैं किसी गधे के साथ भेजूंगी |
(इतने में चुन्नी भैया उधर से गुजर रहे थे, धापली ने चुन्नी भैया को देखकर कहा ): अरी नाशपिटी तेरे को मैं इस चुन्नी लाल के साथ भेजूंगी ! (अब चुन्नी भैया को ये बात सुनाई दे गई और चुन्नी लालजी वहीँ खड़े हो गए| झगडा लगातार चलता रहा |आधी घंटा खड़े रहने के बाद चुन्नी भैया उनके नजदीक आये और धापली से बोले): अरे धापली मैं रुकूँ की जाऊं |
(फिर क्या था कमला टूट पड़ी चुन्नी पे)

21 comments:

  1. दोनो की लड़ाई मे चुन्नु भैया का फ़ायदा होने वाला था..
    मजेदार कहानी....बधाई

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  2. ha,,,ha,,ha,,ha,
    mai rukun ki jaaun
    ha,,ha,ha,
    maja aa gaya padhkar

    bahut khoob rahi

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  3. चुन्नु भईया बेचारे....

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  4. चुन्नीलाल का भविष्य उज्ज्वल है। वे रुक ही जायें! :-)

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. ये तो बडी नाईंसाफी हुई बेचारे चुन्नी भैया के साथ:)

    खानदानी इश्कबाज:) हा हा हा......

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  7. BECHAARE CHUNNI LAAL ....... KHAMKHA HI PIT GAYE... KAMAAL KA HAASY HAI AAPKI POST MAIN ....

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  8. मैं रुकूँ की जाऊं ?
    दिलचस्प.

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  9. तुम्हारी इस पोस्ट ने मुझे मेरे गांव की याद दिला दी, जहां पर ऐसी झड़पें तो आम ही सुनने को मिलती हैं।

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  10. पारीक भई मजा गया आपकी ये पोस्ट पढकर !!

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  11. एक सच्चाई, जिसे फैंटेसी के रूप में स्वीकार कर सकते हैं।
    वैज्ञानिक दृ‍ष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।

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  12. बहुत बढिया लिखा है !!

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  13. मज़ेदार, बढ़िया लिखा.
    बधाई ही बधाई.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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  14. मुझे तो चुन्नीलाल आप ही लग रहे हैं,फिर उसके बाद क्या हुआ....हा...हा..हा..

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  15. waah ji chunni ke to ware nyarekar diye aapne .....!!

    ketiaa aahile ...??

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  16. वाह वाह क्या बात है! बहुत ही दिलचस्प और मज़ेदार कहानी लिखा है आपने ! बढ़िया लगा!

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  17. ha ha ha ha.... he he he.... hu hu hu...
    bahut badiya...

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आपके लिए ही लिखा है आप ने टिपण्णी की धन्यवाद !!!