काश इस बात को सब समझ पाते .. जैसा व्यवहार वो दूसरों के साथ करते हैं .. वैसा ही सब करने लगें .. तो उन्हें कैसा लगेगा .. सचमुच बहुत अच्छी कहानी .. बच्चें को संस्कार तो अभिभावक ही दे सकते हैं !!
अगर हंसने पर कोई टेक्स नहीं है | तो फिर क्यूं होठों को भींच रखा है, जाने दो अपने होठों को कानो तक फिक्र मत कीजिये हंसने से होठ नहीं फटते, बल्कि फटे दिल सिल जाते हैं, अगर मेरी रचना से आपको ज़रा सी भी हंसी आ जाए तो मेरा सौभाग्य!!
बहुत बढ़िया! अगर आप इसे प्रतिध्वनित ना करते तो गूगल मे ही कही खो जाता और हम इस गूंज को सुनने से से वंचित रहते. आभार!
ReplyDeleteSachme bahut badhiya hai! Ham kahan google me ise khojne jate!
ReplyDeletenarayan narayan
ReplyDeleteकाश इस बात को सब समझ पाते .. जैसा व्यवहार वो दूसरों के साथ करते हैं .. वैसा ही सब करने लगें .. तो उन्हें कैसा लगेगा .. सचमुच बहुत अच्छी कहानी .. बच्चें को संस्कार तो अभिभावक ही दे सकते हैं !!
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