Monday, February 8, 2010

हम तो जाते अपने गाँव !!!

परदेश की आबो हवा अब रास ना आवे |
घर आजा परदेशी तेरा देश बुलावे ||

वो सुनहले धोरे कितना मुझको मिस करते है|
कब आवोगे साथी मनमे कितना रिस करते हैं ||

जाने कब आये ये फरवरी ११ का दिन |
एक एक साल लगे है हर पल हर छीन||

कुछ दिन कुछ ना कहूंगा |
दिल के करीब ब्लॉग से दूर रहूंगा !!!

11 comments:

  1. यह मिस करते है वाला प्रयोग अच्छा लगा ..कब तक वापसी है ?

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  2. तो वाया लखनऊ मिल रहे हैं ना?

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  3. आपका यात्रा शुभ हो और आप हर दिन ख़ुशी से बितायें! जल्द आइयेगा और आपके नए पोस्ट का इंतज़ार रहेगा!

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  4. शुभ यात्रा के लिये मंगल कामनायें

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  5. आपकी यात्रा मंगलमय हो !!

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  6. आकर गांव के बारे में बताइयेगा।

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  7. आपकी यात्रा शुभ हो .... घर में सब कुशल मंगल हो ......

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  8. वापसी का इंतज़ार कर रहा हूँ.

    शुभ शुभ.

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आपके लिए ही लिखा है आप ने टिपण्णी की धन्यवाद !!!