Saturday, July 18, 2009

चुन्नी लालजी का गुस्सा ! गुबरीले पे

(हास्य सत्य घटनाए)
चुन्नी भैया के कारनामे इतने हैं की एक रामयाणाकार पुस्तक प्रकाशित की जा सकती है| एक बार दोस्तों के साथ बैठे पतियाँ खेल रहे थे |
एक गुबरीला(गोबर मैं रहने वाला जीव) उनकी तरफ आता है और पैर पे चढ़ने लगता है | अब चुन्नी लालजी उसे पकड़ के दूर फेंकते हैं | फिर खेलने में व्यस्त | गुबरीला फिर आता है, और उनके पैर पे चढाने लगता है|
चुन्नी लालजी फिर उसे हाथ से पकड़ के दूर फेंकते हैं, धीरे धीरे कुछ बुदबुदा भी रहे हैं| अब साथी लोग शिकायत करते हुए कहते हैं : अरे के हुयो चुन्नी पत्ता डाल |
चुनी : अरे डाल रहा हूँ यार | चुन्नी भैया हार रहे हैं इतने में गुबरीला आदतन फिर आता है|( गुबरीले के बारे में ये कहावत है की जिधर से फेंकते हैं मुड़कर फिर उसी दिशा में जाता है ) जैसे ही चुन्नी भैया के पर पे चढ़ता है | क्रोधित सांड के माफिक गुबरीले को हाथ में पकड़ते हैं, और दौड़ लगाते है गाँव के खाली पड़े कुए की तरफ | अब कुवे के पास पहुँच कर गुबरीले को कुवें में फ़ेंक देते है | और फिर जोर से आवाज लगाते हैं: आजा !!! अब आजा !!! आ के दिखा मैं दो घंटा यहीं हूँ आ !! आजा !!! आता क्यूँ नहीं!!!

6 comments:

  1. बड़ा तेज गुस्सा है आपके चुन्नीलाल जी का.

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  2. मुल्ला नसीरुद्दीन के बिरादर लगते हैं ये सज्जन चुन्नीलालजी!

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  3. गुस्सा करना बिल्कुल उचित नहीं है! चुन्नीलालजी तो बहुत ही गुस्सेवाले हैं और मुझे तो डर ही लग रहा है !

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  4. Interesting post .:)
    thanx for visiting my post

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  5. चुन्‍नीलाल जी तो
    बहुत गुणी निकले।

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  6. एक रामयाणाकार पुस्तक!नया शब्द मिला..by the way...chunni lal ko gussa kyon aata hai??

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आपके लिए ही लिखा है आप ने टिपण्णी की धन्यवाद !!!